10 रुपए की रिश्वत 22 साल चला केस, मुकदमा ख़ारिज

अहमदाबाद। महज 10 रुपए घूस लेने के मामले में पिछले 22 सालों से 5 ट्रैफिक कॉन्स्टेबलों के ऊपर गुजरात हाईकोर्ट में मुकदमा चलता रहा। लेकिन इस मामले में कार्रवाई करते हुए कोर्ट ने इस मामले को खारिज कर दिया है। दरअसल, साल 1994 में अहदाबाद में ऐंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने पांच ट्रैफिक कॉन्स्टेबलों को 10 रुपये रिश्वत लेते हुए पकड़ा था।
आरोप साबित होने पर एक स्पेशल कोर्ट ने उन्हें 2 साल के लिए जेल की सजा सुनाई थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने पिछले महीने स्पेशल कोर्ट का फैसला उलट दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि एसीबी आरोप साबित करने में नाकाम रहा और चश्मदीद आरोपियों की पहचान करने में कंफ्यूज्ड थे। केस की जानकारी के मुताबिक, पुलिस इंस्पेक्टर केएम राठौर घटना के वक्त एसीबी में पोस्टेड थे। राठौर को जानकारी मिली कि ट्रैफिक कॉन्स्टेबल्स ने नियमों को ताक पर रख कर रिश्वत ली हैं। राठौर ने इस खुफिया जानकारी को पुलिस स्टेशन की डायरी में नहीं लिखा और आरोपियों को पकड़ने चले गए।इस काम में मदद के लिए वह अपने साथ में एक ऑटो रिक्शा ड्राइवर और एक चश्मदीद को साथ ले गए थे। ट्रैफिक पुलिस से पहली मुलाकात में ही ऑटो ड्राइवर ने 10 रुपए घूस दिया और एसीबी ने 5 ट्रैफिक कॉन्स्टेबलों रत्नाभाई सोलंकी, जगदीश चंद्र जादव, विष्णुभाई पटेल, नंदुभाई पटेल और बाबूभाई पटेल को घूस लेते हुए पकड़ लिया। इन पांचों के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया।जस्टिस आरपी ढोलकिया ने अपने फैसले में कहा कि ऑटो ड्राइवर और चश्मदीद के बयानों में एकरूपता नहीं थी और वे आरोपियों की पहचान को लेकर कंफ्यूज्ड थे। जज ने कहा कि अभियोजन पक्ष भी आरोपों को साबित करने में नाकाम रहा। कोर्ट ने कहा कि राठौर का यह कदम निष्पक्ष जांच के नियमों के विरुद्ध है। ऐसे में अभियोजन पक्ष की विश्वसनीयता संदिग्ध है और इसलिए आरोपियों के खिलाफ लगे आरोपों को खारिज किया जाता है।

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