भोपाल । मध्यप्रदेश शासन ने पंचायतों के चुनाव में उम्मीदवारों के लिये खुद के घर पर शौचालय अनिवार्य कर दिया , स्वागतयोग्य कदम ,साथ ही प्रत्याशी के प्रस्तावना और समर्थन करने वाले कि संख्या 10+10 कर इनके यहां भी शौचालय होना अनिवार्य होना चाहिये इसके साथ महाराष्ट्र , राजस्थान , हरियाणा के तर्ज पर शैक्षणिक योग्यताओं का बंधन भी पंचायतों और नगरीनिकाय में अनिवार्य होना चाहिये , उदाहरण वहां तीनों राज्यों में पंच 8वी पास सरपंच 10+2 जिला पंचायत सदस्य स्नातक और जिला पंचायत अध्यक्ष स्नातकोत्तर होना अनिवार्य है ,वही नगरीय निकाय में पार्षद 10+2 अध्यक्ष स्नातक और महापौर स्नातकोत्तर होना अवश्य है , जब भाजपा शासित अन्य राज्यों में वहां यहां व्यवस्था लागू है तो मध्यप्रदेश क्यों पीछे रहे , राजस्थान एक लड़की ने एमबीबीएस डाक्टरी पडाई के बाद अपने गाँव से सरपंच का चुनाव लडी़ और पूरे गाँव कि उसने कायापलट कर दी आज उस गाँव में हर घर में शौचालय है , स्कुल में शिक्षक अनिवार्य आते है , सड़कों का जाँल बिछ गयाहै , और नल जल योजना में पानी का अपव्यय ना हो उसका ध्यान रखा जाता है , साथ ही खेती को लाभदायक बनने के लिए समय समय पर सेमिनार और महिलाओं को आत्मा निर्भरता के लिए अनेकानेक कोर्स शासकीय योजनाओं के माध्यम से चल रहें है , यहां सपना मध्यप्रदेश के प्रत्येक गाँव में भी पूरा हो सकता है , आवश्यकता है , कुछ कठौर निर्णय लेने कि कुछेक को तकलीफ होगी , लेकिन गाँव और शहरों कि बेहतरी के लिये शिक्षा का बंधन अनिवार्य रुप से लागू करना चाहिये । अशोक देवडा़
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