राज्यों में विधान परिषद् - अनावश्यक है जनता पर बौझ ..?

भोपाल।मुख्य चुनाव आयुक्त ने लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने पर सहमति देते हुए कहा हम इसके लिए तैयार है , निश्चित ही भारत   जैसे एक ऐसा देश जहां दौ समय भोजन , प्रत्येक व्यक्ति के नसीब में नही होता , मकान के बदले खुले आकाश के नीचे जीवन गुजारना पड़ता है , वहां लोकतांत्रिक व्यवस्था बनाये रखने के लिए , अरबों रुपये अलग अलग चुनाव के कारण अनावश्यक रुप से खर्च करना पड़ते है , निश्चित लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होना चाहिये , राज्यसभा का कार्यकाल भी , चुनाव के साथ समाप्त हो जाना चाहिये , नई लोकसभा और विधानसभा के सदस्य मिलकर राज्यसभा का चुनाव करें , कई राज्यों में विधान परिषद् है , ये अनावश्यक है जनता पर बौझ है , यहां समाप्त होना चाहिये , लोकसभा , विधानसभा , नगर निगम , नगर पंचायतों  में शैक्षणिक योग्यताओं का निर्धारण होना चाहिये , ऐसे पूर्व सांसदों एवं विधायकों को जिनके पास शासन द्वारा दी जाने वाली पेंशन के अलावा आय के अन्य स्तोत्र नही है , उन्हें छोड़कर , बाकी कि पेंशन समाप्त कर देना चाहिये , पेंशन बंद कर देने से भी इनकी सेहत पर कोई फर्क नही पड़ता  , अभी हाल ही में राज्यसभा में   गयें नेताओं ने अपने हल्फनामें में खुद कि आय करोड़ों में बतायी है , हम एक तरफ गैस सब्सिडी छोड़ने कि बात करते है , दुसरी और कपिल सिब्बल दिल्ली से चुनाव हारने के बाद एवं गोविंदा, एवं विनोद खन्ना  पूर्व सांसद के नाते अरबपति होने के बाद भी पेंशन लेने में कोई शर्म मेहसूस नही करते , ये तीन  नाम मात्र उदाहरण है , ऐसे अरबपति पूर्व विधायकों और पूर्व सांसदों  कि संख्या हजारों में देश भर में है , जो पूर्ण संपन्नता के बाद भी देश के खजाने को दीमक कि तरह चट कर रहें है , आज आवश्यकता है , चुनावों में कठौर तरिके से सुधार करने की । अशोक देवडा़

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