उज्जैन|सिहस्थ महाकुंभ की छठी पेशवाई आज वैभव और सन्यास के पराक्रम के साथ निकाली गई है। पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा की पेशवाई पड़ाव स्थल नीलगंगा से शुरू हुई और पेशवाई शहर के प्रमुख भागों से विचरण करती हुई बड़नगर रोड स्थित छावनी में पहुंची। पेशवाई नीलगंगा से शुरू होकर भारतीय ज्ञानपीठ, तीनबत्ती चौराहा, टॉवर चौक, चामुंडा माता चौराहा, देवासगेट, मालीपुरा, दौलतगंज, कंठाल, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी चौक, बक्षी बाजार, कार्तिक चौक, गणगौर दरवाजा, छोटी रपट से होते हुए छावनी पहुंची। पेशवाई में सबसे पहले अखाड़े के इष्टदेव कपीलमुनी का पंचोपचार पूजन कर उनको चांदी की पालकी में विराजित किया गया। इसके बाद निशान भाला सूर्यप्रकाश और भैरवप्रकाश का पूजन कर अखाड़े की पेशवाई की विधिवत शुरूआत की गई। पेशवाई का आगाज निर्वाण पीठाधीश्वर श्रीमहंत विशोखानंद भारती के नेतृत्व में हुआ । उनके साथ पड़ाव स्थल नीलगंगा से नागा साधु अपने शौर्य का प्रदर्शन करते हुए सबसे आगे चल रहे थे। श्रीपंच के श्रीमहंत जमनापुरीजी महाराज ने बताया कि पेशवाई में सात प्रदेश के सात बैंड के अलावा कुल 25 बैंड, 30 घोड़े, 5 हाथी और 2 ऊंट आकर्षण का केंद्र रहे।पेशवाई का प्रमुख आकर्षण महामंडलेश्वर स्वामी नित्यानंदजी और महामंडलेश्वर स्वामी दाती महाराज थे। इन दोनों संतों के साथ काफी लंबा चौड़ा काफिला चल रहा था। महामंडलेश्वर स्वामी नित्यानंदजी के साथ करीब 25 देशों के भक्त नाचते- गाते साथ चल रहे थे। साथ ही पेशवाई में उनके साथ दक्षिण के देवी-देवताओं की भव्य और आकर्षक प्रतिमाएं आकर्षण का केंद्र थी। दाती महाराज पेशवाई में बेटी बचाओ का संदेश देते चल रहे थे उनके काफिले में नन्ही कन्याएं मल्लखंब के करतब दिखाती चल रही थी। साथ ही बैगपाइपर की धुन के साथ राजस्थानी संगीत की झलक भी दिखाई दे रही थी।पेशवाई में करीब 50 महामंडलेश्वरों शामिल थे, जो चांदी के हौदे पर और सुदर कुर्सियों पर विराजित होकर पेशवाई में निकल रहे थे । पेशवाई की व्यवस्था का जिम्मा श्रीपंच के महंत श्रीविश्वनाथ गिरी महाराज को सौंपा गया था। इससे पहले रविवार को पेशवाई की व्यवस्था को लेकर पड़ाव स्थल नीलगंगा में एक बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें सभी महंत, कारोबारी, कोठारी, थानापति को पेशवाई के कामकाज की जिम्मेदारी सौंपी गई। अखाड़े के सचिव श्रीमहंत प्रकाशपुरी महाराज ने कहा है कि महाकाल की नगरी में पेशवाई के जरिये अनुशासन का संदेश दिया जा रहा है। पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा की वैभव के साथ निकली पेशवाई...
उज्जैन|सिहस्थ महाकुंभ की छठी पेशवाई आज वैभव और सन्यास के पराक्रम के साथ निकाली गई है। पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा की पेशवाई पड़ाव स्थल नीलगंगा से शुरू हुई और पेशवाई शहर के प्रमुख भागों से विचरण करती हुई बड़नगर रोड स्थित छावनी में पहुंची। पेशवाई नीलगंगा से शुरू होकर भारतीय ज्ञानपीठ, तीनबत्ती चौराहा, टॉवर चौक, चामुंडा माता चौराहा, देवासगेट, मालीपुरा, दौलतगंज, कंठाल, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी चौक, बक्षी बाजार, कार्तिक चौक, गणगौर दरवाजा, छोटी रपट से होते हुए छावनी पहुंची। पेशवाई में सबसे पहले अखाड़े के इष्टदेव कपीलमुनी का पंचोपचार पूजन कर उनको चांदी की पालकी में विराजित किया गया। इसके बाद निशान भाला सूर्यप्रकाश और भैरवप्रकाश का पूजन कर अखाड़े की पेशवाई की विधिवत शुरूआत की गई। पेशवाई का आगाज निर्वाण पीठाधीश्वर श्रीमहंत विशोखानंद भारती के नेतृत्व में हुआ । उनके साथ पड़ाव स्थल नीलगंगा से नागा साधु अपने शौर्य का प्रदर्शन करते हुए सबसे आगे चल रहे थे। श्रीपंच के श्रीमहंत जमनापुरीजी महाराज ने बताया कि पेशवाई में सात प्रदेश के सात बैंड के अलावा कुल 25 बैंड, 30 घोड़े, 5 हाथी और 2 ऊंट आकर्षण का केंद्र रहे।पेशवाई का प्रमुख आकर्षण महामंडलेश्वर स्वामी नित्यानंदजी और महामंडलेश्वर स्वामी दाती महाराज थे। इन दोनों संतों के साथ काफी लंबा चौड़ा काफिला चल रहा था। महामंडलेश्वर स्वामी नित्यानंदजी के साथ करीब 25 देशों के भक्त नाचते- गाते साथ चल रहे थे। साथ ही पेशवाई में उनके साथ दक्षिण के देवी-देवताओं की भव्य और आकर्षक प्रतिमाएं आकर्षण का केंद्र थी। दाती महाराज पेशवाई में बेटी बचाओ का संदेश देते चल रहे थे उनके काफिले में नन्ही कन्याएं मल्लखंब के करतब दिखाती चल रही थी। साथ ही बैगपाइपर की धुन के साथ राजस्थानी संगीत की झलक भी दिखाई दे रही थी।पेशवाई में करीब 50 महामंडलेश्वरों शामिल थे, जो चांदी के हौदे पर और सुदर कुर्सियों पर विराजित होकर पेशवाई में निकल रहे थे । पेशवाई की व्यवस्था का जिम्मा श्रीपंच के महंत श्रीविश्वनाथ गिरी महाराज को सौंपा गया था। इससे पहले रविवार को पेशवाई की व्यवस्था को लेकर पड़ाव स्थल नीलगंगा में एक बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें सभी महंत, कारोबारी, कोठारी, थानापति को पेशवाई के कामकाज की जिम्मेदारी सौंपी गई। अखाड़े के सचिव श्रीमहंत प्रकाशपुरी महाराज ने कहा है कि महाकाल की नगरी में पेशवाई के जरिये अनुशासन का संदेश दिया जा रहा है।
Labels:
प्रदेश
Location:
Ujjain, Madhya Pradesh, India
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment