सिंहस्थ - पेयजल आपूर्ति एवं गंदे पानी की निकासी के पुख्ता
उज्जैन|सिंहस्थ मेला क्षेत्र में बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं की पेयजल व्यवस्था के लिए पेयजल आपूर्ति तथा गंदे पानी की निकासी के पुख्ता इंतजामात किए गए हैं। इनमें इंटेकवेल निर्माण, जलशोधन संयंत्रों का निर्माण टंकियों का निर्माण शिप्रा नदी पर बैरेजेस के निर्माण जैसे स्थाई प्रकृति के कार्य शामिल हैं। साथ ही अस्थाई प्रकृति के कार्य में मेला क्षेत्र में जल वितरण पाइप लाइन, गंदे पानी की निकासी के लिए सीवर लाइन एवं पंपिंग स्टेशन, नवीन नलकूपों का खनन, पॉवर पंप एवं हैंडपंपों की स्थापना जैसे कार्य शामिल हैं। इंटेकवेल का निर्माण-लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा सिंहस्थ में जलापूर्ति के लिए 4.31 करोड़ की लागत से गंभीर बांध पर नवीन आरसीसी इंटेकवेल का निर्माण करवाया गया है। 12 मीटर व्यास के इस इंटेक की पाइप फ्लोर से गहराई 20.50 मीटर है। इंटेकवेल के ऊपर पंप हाउस का निर्माण किया गया है। दो फ्लोर के पंप हाउस के प्रथम फ्लोर की ऊंचाई 4 मीटर व दूसरे फ्लोर की ऊंचाई 5.50 मीटर है। इस इंटेकवेल में गंभीर बांध पर पूर्व में निर्मित पुराने इंटकवेल के पंप को शिफ्ट कर एक नया पंप लगाया गया है। जल शोधन संयंत्रों का निर्माण-सिंहस्थ में पेयजल की अतिरिक्त आपूर्ति के लिए गऊघाट पर 6.17 करोड़ की लागत से 27.34 एमएलडी क्षमता व साहिब खेड़ी पर 5.30 करोड़ की लागत से 8.0 एमएलडी क्षमता के दो जलशोधन संयंत्र, गऊघाट पर निर्मित जल शोधन संयंत्र को नर्मदा शिप्रा लिंक योजना से प्राप्त रा वॉटर से जोड़ा गया है। साहिबखेड़ी जल शोधन का स्रोत साहिबखेड़ी जलाशय है। इन जल शोधन संयंत्रों हेतु आवश्यक क्षमता के रॉ वाटर एवं क्लीयर वॉटर पंपिंग मैन, पंपिंग स्टेशन एवं विद्युत उपकेंद्र का भी निर्माण किया गया है। जल शोधन संयंत्रों का सुदृढ़ीकरणउज्जैन शहर की पेयजल व्यवस्था हेतु कार्यरत चार जल शोधन संयंत्रों, पंपिंग स्टेशन, विद्युत उपकेंद्रों का शुद्धीकरण भी किया गया है, जिससे कि ये सिंहस्थ के दौरान पूर्ण क्षमता से संचालित किए जा सके और आपात स्थिति में भी सभी अवयवों को स्टैंडबाय की व्यवस्था भी की गई है। इस कार्य पर 4 करोड़ रुपए की राशि व्यय की गई। चार टंकियों का निर्माण सिंहस्थ में आवश्यकतानुसार पेयजल आपूर्ति के लिए 2.8 करोड़ की लागत से चार आरसीसी टंकियों का निर्माण किया गया है। ये टंकियां क्रमश: खिलचीपुर, गढ़कालिका, चिंतामगण गणेश एवं उजड़खेड़ा में बनाई गई है। शिप्रा नदी पर बने बैरेज का सुदृढ़ीकरण-सिंहस्थ को ध्यान में रखते हुए शिप्रा नदी पर बने हुए पांच बैरेज क्रमश: गऊघाट, त्रिवेणी, किठोदा, चिमली व बिलोदा बैरेज का पांच करोड़ की लागत से सुदृढ़ीकरण कार्य किया गया है। सिंहस्थ के दौरान इन बैरेज में आवश्यक जल भंडारण कर शिप्रा नदी में आवश्यकतानुसार जल का प्रबंधन किया जाएगा। शहर के गंदे पानी के निष्पादन की योजना-सिंहस्थ को दृष्टिकत रख उज्जैन शहर की वर्तमान सीवेज डिसपोजल योजना का सुदृढ़ीकरण किया गया है। लगभग 6 करोड़ की लागत से विभिन्न पंपिंग स्टेशन में पंप बदलने का कार्य, विद्युत उपकेंद्र का सुदृढ़ीकरण्, पंपिंग मैन का कार्य, सदावल सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की गाद निकालकर रुपांकित क्षमता पर कार्य करने हेतु सक्षम बनाया गया है। सिंहस्थ मेला क्षेत्र में 154 कि.मी. नल-जल वितरण पाइप लाइन-सिंहस्थ मेला क्षेत्र में विभिन्न 10 टंकियों से 119 किमी पाइप लाइन के माध्यम से जल वितरण किया जाना प्रस्तावित था। यह कार्य जनवरी 2016 तक पूरा कर लिया गया था। परन्तु बड़े भूखंडों को छोटे भूखंडों में विभाजित करने, भूमि उपयोग बदलने एवं मेला क्षेत्र का विस्तार हो जाने के कारण लगभग 35 किमी अतिरिक्त जल वितरण नलिकाएं बिछाने का कार्य भी पूर्ण कर लिया गया है। वर्तमान में मेला क्षेत्र में लगभग 12 घंटे मांग अनुसार जल प्रदाय किया जा रहा है। जिसे आवश्यकतानुसार बढ़ाया भी जा सकेगा है। इस कार्य पर 36.58 करोड़ रुपए की राशि व्यय की गई है।गंदे पानी की निकासी की व्यवस्था-सिंहस्थ मेला क्षेत्र में गंदे पानी की निकासी के कार्यों पर 47.4 करोड़ रुपए की लागत आई। गंदे पानी का सीवर एवं पंपिंग स्टेशन तथा परिवहन के माध्यम से की जाना है। सम्पूर्ण मेला क्षेत्र में 110 किमी सीवर का कार्य किया जाना था। साथ ही गंदे पानी के निष्काशन हेतु सात पंपिंग स्टेशन एवं 23 अस्थाई अर्दनसम्प का कार्य फरवरी अंत तक पूर्ण कर लिया गया, परन्तु बछ़े भूखंड को छोटे भूखंड में विभाजित करने, भूमि उपयोग बदलने और मेला क्षेत्र के विस्तार के कारण 35 किमी में अतिरिक्त सीवर का कार्य किया गया। साथ ही दो पंपिंग स्टेशन व 6 अर्दनसम्प का अतिरिक्त निर्माण भी करवाया गया। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग मेले में गंदे पानी के निष्पादन हेतु पूरी तरह से तैयार है। नलकूपों का खनन- सिंहस्थ मेला क्षेत्र में 3.22 करोड़ की लागत से विद्यमान नलकूपों व नए नलकूपों पर पॉवर पंप एवं हैंडपंप स्थापना का कार्य किया गया है। अब तक लगभग 225 नलकूपों का खनन कार्य पूर्ण कर पॉवर पंप स्थापित किए जा रहे हैं। साथ ही मेला क्षेत्र में पांच हजार एवं दो हजार लीटर क्षमता की पानी की टंकियों को स्थापित करने के 1200 टंकियों के लक्ष्य विरूद्ध दो हजार टंकियां स्थापित की जा चुकी है। पंचक्रोशी यात्रा में पेयजल आपूर्ति एवं गंदे पानी का निष्पादन-पंचक्रोशी यात्रा के 118 किमी लंबे मार्ग और सात पड़ावों पर 9.97 करोड़ की लागत से पेयजल व्यवस्था उपलब्ध कराने हेतु पांच आरसीसी उच्चस्तरीय टंकियों का निर्माण किया गया है। सभी पड़ाव एवं यात्रा मार्ग पर नलकूपों पर पॉवर पंप स्थापित कर दो हजार लीटर की टंकियों पर वाटर सप्लाय स्टैंड का निर्माण, नहाने हेतु शावर निर्माण एवं अस्थाई पाइप लाइन का कार्य करवाया गया है। सेटेलाईट टाउन में पेयजल व्यवस्था-सिंहस्थ के लिए स्थापित सभी सेटेलाइट टाउन में नलकूप खनन कर पॉवर पंप स्थापित किए गए हैं और दो हजार लीटर क्षमता की टंकियां स्थापित कर स्टैंड पोस्ट के माध्यम से जल प्रदाय किया जा रहा है। अतिरिक्त व्यवस्था हेतु टैंकर के माध्यम से भी जल प्रदाय किया जाएगा। इन कार्यों पर 3.46 करोड़ की लागत आई है। इसके अलावा 1.64 करोड़ की जागत से सिंहस्थ मेला क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर 16 फायर हाइडेंट के कार्यों में से 12 फायर हाइडेंट निर्माण का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा नव निर्मित जल शोधन संयंत्रों, पंपिंग स्टेशन के संचालन एवं संधारण हेतु सारी एजेंसी तय कर उसके माध्यम से संचालन एवं संधारण की व्यवस्था की जा रही है। सिंहस्थ के दौरान जल गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु जल की गुणवत्ता जांचने के लिए एजेंसी निर्धारित की गई है। इस एजेंसी द्वारा नियमित रूप से जल का परीक्षण किया जा रहा है। गंदे पानी का परिवहन कर निकासी-सिंहस्थ मेला क्षेत्र में कच्चे सम्प से गंदे पानी का निष्पादन टैंकरों द्वारा परिवहन के माध्यम से किया जाना है। इसके लिए पांच हजार से 20 हजार लीटर के 29 ट्रक व ट्रैक्टर व पंप माउंटेंट टैंकर किराए पर लगाए गए हैं। सिंहस्थ मेला अवधि के दौरान इनकी संख्या 80 कर दी जाएगी। संचालन एवं संधारण के लिये त्रिस्तरीय व्यवस्था- लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के प्रमुख सचिव श्री पंकज अग्रवाल ने बताया कि विभाग द्वारा सिंहस्थ के लिए करवाए गए सभी कार्यों के संचालन एवं संधारण की पुख्ता व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु निर्माणकर्ता एजेंसी को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह एजेंसी मेला अवधि के बाद भी संचालन व संधारण का कार्य करेगी। लेकिन फिर भी किसी भी तरह से व्यवस्था बाधित न हो इस हेतु लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा एक और एजेंसी को नियुक्त किया गया है। यह एजेंसी निर्माणकर्ता एजेंसी द्वारा संचालन व संधारण नहीं करने की दशा में सुधार कार्य करेगा। इसके अलावा विभागीय अमले से भी संचालन एवं संधारण की अतिरिक्त व्यवस्था करेगा। इस तरह संचालन व संधारण के लिए त्रिस्तरीय व्यस्थाएं की गई है। मेला क्षेत्र के सभी 16 सेक्टरों में जल प्रदाय एवं सीवर संबंधित समस्याओं के त्वरित निराकरण के लिए पर्याप्त तकनीकी एवं संधारण का अमला मय उपकरण संयंत्र, औजारों के तैनात किया गया है। इसके संचालन हेतु जोन एवं सेक्टर पर विभाग के अधिकारी से लेकर उपयंत्री स्तर के अधिकारी 24 घंटे उपलब्ध रहकर कार्य कर रहे हैं। इस तरह लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा सिंहस्थ के दौरान पेयजल आपूर्ति तथा गंदे पानी की निकासी के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
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