शिल्पकार श्री विश्वकर्मा राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित

ग्वालियर|ग्वालियर शहर के युवा एवं सिद्धहस्थ शिल्पकार दीपक विश्वकर्मा राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाज़े गए हैं। राष्ट्रपति महोदय श्री प्रणव मुखर्जी ने नईदिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित हुए भव्य समारोह में श्री विश्वकर्मा को पत्थर नक्काशी शिल्प के क्षेत्र में राष्ट्रीय पुरस्कार से विभूषित किया। सिद्धहस्थ शिल्पियों को शिल्प गुरू एवं राष्ट्रीय पुरस्कार देने के लिये यह समारोह गत एक दिसम्बर को देश की राजधानी में आयोजित हुआ।श्री दीपक विश्वकर्मा को यह पुरस्कार उनके द्वारा तैयार की गई लाल पत्थर की भगवान बुद्ध की प्रतिमा के लिये मिला है। अण्डाकार आकृति वाली यह प्रतिमा यूनानी भगवान अप्पालु की तरह बनाई गई है। मालूम हो शिल्पकार श्री विश्वकर्मा ग्वालियर की नजदीकी खदानों से लाल एवं सफेद “ग्वालियर टकसाल” बलुआ पत्थर अपने घरों में लाते हैं। वे इन निर्जीव खण्डों को संवेगात्मक चेहरों तथा गरिमामय आकृतियों में तब्दील करने का काम बखूबी ढंग से कर रहे हैं। पत्थर के विशाल खण्डों को छोटे-छोटे टुकड़ों को तोड़ने से लेकर उन्हें आकार देने और तराशने का काम उनके कलात्मक हाथों द्वारा हथौड़ी और छैनी की सहायता से किया जाता है। कभी-कभार घिसाई का कार्य जल्द पूर्ण करने के लिये इलेक्ट्रिक ग्राइन्डर का इस्तेमाल भी होता है। कलाकृति को अंतिम निखार देने के लिये “बट्टी” कहे जाने वाले पत्थर के टुकड़े और उसके बाद रेतमाल से घिसाई की जाती है। पानी से धुलाई के बाद मूर्ति शिल्प का यह अंतिम संवरा हुआ रूप एक अलौकिक वस्तु में तब्दील हो जाता है।और भी पुरस्कार मिले हैं दीपक विश्वकर्मा को-मूर्ति मोहल्ला गेंढे वाली सड़क निवासी श्री दीपक विश्वकर्मा पिछले 24 सालों से मूर्ति शिल्प कलाकृतियाँ तैयार करने में लगे हैं। उनकी कलाकृतियाँ विभिन्न राष्ट्रीय प्रदर्शनियों की शोभा बढ़ा चुकी हैं। उन्हें वर्ष 2006-07 में मूर्तिकला के क्षेत्र में राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। प्रसिद्ध मूर्तिकार श्री राम विश्वकर्मा से मूर्तिकला का हुनर सीखकर श्रेष्ठ मूर्तिकारों में शुमार हुए श्री दीपक विश्वकर्मा भी अब तक 120 युवा शिल्पियों को मूर्ति शिल्प की बारीकियाँ सिखा चुके हैं।

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