भारतीय परम्पराओं में छिपे हैं गहरे प्रतीक-श्री पस्तोर

उज्जैन|भारतीय परम्पराओं में गहरे प्रतीक छिपे हैं। भगवान शिव के जिस अर्द्धनारीश्वर स्वरूप का हमारे ग्रंथों में वर्णन किया गया है, वह वस्तुत: सम्पूर्ण मानव है। इस प्रतीक का अर्थ है कि प्रत्येक मानव शरीर में स्त्री एवं पुरूष दोनों के गुण ‘मेल’ तथा ‘फीमेल’ क्रोमोजोम्स के रूप में उपस्थित रहते हैं। इसी प्रकार पौराणिक कथाओं के पीछे भी वैज्ञानिक आधार है। हमें इन परम्पराओं के पीछे छिपे वैज्ञानिक आधार को खोजना होगा तथा उनके आधार पर सिंहस्थ, उज्जैन, म.प्र. की ब्राण्डिंग पूरे विश्व में करनी होगी, तभी हम सिंहस्थ के प्रचार के साथ सही न्याय कर पायेंगे। यह दायित्व जनसम्पर्क अधिकारियों का है, जिनकी ड्यूटी सिंहस्थ के दौरान लगने वाली है। संभागायुक्त श्री रवीन्द्र पस्तोर ने आज रविवार को पॉलीटेक्निक महाविद्यालय में जिला प्रशासन द्वारा आयोजित सिंहस्थ प्रशिक्षण के दौरान प्रदेश के जनसम्पर्क अधिकारियों से कही। जनसम्पर्क अधिकारियों के प्रशिक्षण के इस दूसरे चरण में प्रदेश के 20 जिलों के 23 जनसम्पर्क अधिकारी शामिल हुए।अनादि उज्जयिनी-श्री पस्तोर ने बताया कि प्राचीनकाल में उज्जैन कालगणना का केन्द्र था। यहां से जीरो डिग्री अक्षांश मानकर कालगणना की जाती थी, जो वर्तमान में ग्रीनविच इंग्लैण्ड से की जाती है। उज्जयिनी को अनादि नगरी कहने के पीछे यह वैज्ञानिक आधार है कि शून्य अनादि एवं अनन्त होता है। चूंकि उज्जैन में शून्य डिग्री अक्षांश मानकर कालगणना की जाती थी, अत: इसे अनादि उज्जयिनी कहा गया।शिवजी का निवास-श्री पस्तोर ने बताया कि एक कथा के अनुसार जब देवताओं ने शिवजी के लिये निवास ढूंढना प्रारम्भ किया तो उन्हें उज्जयिनी सबसे उपयुक्त लगी। यहां महाकाल वन क्षेत्र को उनका आवास बनाया गया, जहां वर्तमान में महाकालेश्वर मन्दिर स्थित है। चार युगों के प्रतीक के रूप में यहां चारों दिशाओं में चार बड़े मन्दिर बनाये गये। पुराणों में वर्णित चौरासी कल्पों के प्रतीक के रूप में यहां चौरासी महादेव बनाये गये तथा पृथ्वी पर स्थित सात महासागरों के प्रतीक के रूप में यहां सप्त सागर क्षेत्र बनाया गया। इस प्रकार उज्जैन एक छोटे ब्रह्माण्ड का स्वरूप है।मेगा ईवेन्ट तथा मेगा व्यवस्थाएं-संभागायुक्त ने बताया कि इस बार सिंहस्थ में 20 लाख व्यक्तियों के निवास के हिसाब से मेला क्षेत्र विकसित किया जा रहा है तथा अधिकतम प्रतिदिन एक करोड़ व्यक्तियों के मान से सारी व्यवस्थाएं की जा रही हैं। कुल 5 करोड़ व्यक्तियों की सिंहस्थ में व्यवस्था रहेगी। सिंहस्थ के लिये 3 से साढ़े 3 हजार करोड़ के कार्य कराये जा रहे हैं। कार्यों के लिये विशेष ‘प्रोजेक्ट मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर’ विकसित किया गया है। कार्यों में पूरी गुणवत्ता एवं पारदर्शिता रखी जा रही है।पहली बार इन तकनीकों का प्रयोग-इस बार जिन आधुनिक तकनीकों का व्यवस्थाओं में उपयोग किया जा रहा है, वैसा पहले कभी कहीं नहीं हुआ। साधु-सन्तों को आवंटित किये जा रहे भूखण्डों के आदेशों में ‘क्यूआर कोड’ अंकित किये गये हैं, जिनके माध्यम से किसी भी स्मार्ट फोन पर उसे रीड कर पूरी जानकारी प्राप्त की जा सकेगी। सभी विभागों के कार्यों में ‘जीआईएस सिस्टम’ का प्रयोग किया जा रहा है। व्यवस्थाओं की गुणवत्ता परखने के लिये ‘कन्ज्यूमर स्कोर कार्ड’ बनाये गये हैं, जिनमें उपभोक्ता जीरो से 10 तक अंक देंगे तथा उसी हिसाब से सेवाओं का आंकलन होगा। सिंहस्थ क्षेत्र में सिंहस्थ डेबिट कार्ड काम करेंगे, जिनके माध्यम से डीजल, पेट्रोल, भोजन तथा अन्य उपयोग की वस्तुएं कार्ड स्वाइप कर प्राप्त की जा सकेंगी। साथ ही मन्दिरों आदि को दान भी इसके माध्यम से किया जा सकेगा। मेले में बड़ी संख्या में सूचना केन्द्र बनाये जा रहे हैं, जहां से सिंहस्थ सम्बन्धी हर जानकारी कम्प्यूटर के माध्यम से प्राप्त की जा सकेगी। इसके लिये प्रशासन द्वारा लगभग 8 हजार प्रश्नों का ‘क्वेश्चन बैंक’ बनाया गया है। ड्यूटी कर रहे व्यक्तियों के लिये हर क्षेत्र का अलग ‘कलर कोड’ बनाया गया है, जिससे एक क्षेत्र में तैनात व्यक्ति दूसरे क्षेत्र में न जा सके। सिंहस्थ में तैनात अमले की उपस्थिति के लिये ‘जीओमैट्रिक्स तकनीकी’ का उपयोग किया जायेगा। सभी व्यवस्थाओं के नियंत्रण के लिये नगर निगम द्वारा कमांड एण्ड कंट्रोल सिस्टम के अन्तर्गत्एक कंट्रोल रूम बनाया जा रहा है, जिसे 22 लाख की लागत से सर्वसाधन सुसज्जित किया जायेगा। इस बार सीसीटीवी कैमरों में ‘इमेज फ्रीजिंग तकनीकी’ का प्रयोग किया जायेगा, जिसके माध्यम से किसी भी व्यक्ति द्वारा असहज हरकत करने पर उसकी इमेज कैमरे में फ्रीज हो जायेगी, जिससे वहां जाकर उस व्यक्ति की गतिविधि को देखा जा सकेगा। साथ ही वाहनों की नम्बर प्लेट तथा उनका आकार आदि स्कैन हो जायेंगे, जिससे उनकी तथा उनमें बैठी सवारियों की संख्या का आंकलन किया जा सकेगा।श्री शिव चौरसिया ने दिया प्रशिक्षण-जनसम्पर्क अधिकारियों को सिंहस्थ विषय विशेषज्ञ श्री शिव चौरसिया ने भी प्रशिक्षण दिया। इसके अन्तर्गत उन्होंने सिंहस्थ का इतिहास, पृष्ठभूमि, महत्व, उज्जैन के दर्शनीय स्थल आदि के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी दी। प्रशिक्षणार्थियों ने इसकी अत्यधिक सराहना की।

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