चौथे स्तंभ पर हमला - आईजी से कार्रवाई की उम्मीद

 उज्जैन। समाज को हमेशा आईना दिखाने का काम चौथा स्तंभ करता आया है। चाहे जनता की कोई समस्या हो या फिर नेताओं के भ्रष्टाचार का बवंडर। पत्रकारों ने अपनी सक्रियता से हर मामले का खुलासा करने में अहम भूमिका निभाई है, बदले में शासन-प्रशासन उन्हें ठीक प्रकार से मुलभूत सुविधा भी उपलब्ध नहीं करता है। ऐसे में जो सुविधाएं पत्रकारों को दी गई है। उनका लाभ देने के बजाए उल्टा पत्रकारों को भी बक्शा नहीं जाता है। मामला उज्जैन के एक समाचार संपादक पर हुए कातीलाना हमले का है। जिसकी पूरी मीडिया जगत निंदा कर रहा है। बीती रात इंदौर रोड़ फोरलेन पर टोल टैक्सनाके पर दैनिक अवंतिका के प्रबंध संपादक और मालिक संदीप मेहता पर 20 गुण्डों ने सिर्फ इस बात पर हमला कर दिया कि उन्होंने 30 रूपए का रोड़ टैक्स नहीं भरा। संदीप मेहता अधिमान्य पत्रकार है। शासन की योजना के मुताबिक अधिमान्य एवं वरिष्ठ पत्रकार के लिए रोड़ टैक्स मुफ्त रहता है। संदीप मेहता ने इंदौर टोल नाके पर अधिमान्य पत्रकार का कार्ड भी दिखाया, लेकिन टोल कर्मीयों की गुण्डागर्दी और रौब-रूबाब की दादागिरी का विरोध उन्हें रास नहीं आया। बस इस छोटी सी बात को लेकर सरीए और हथियारों से बेरहम कर्मीयों ने पत्रकार मेहता पर हमला कर दिया। घटना में मेहता गंभीर रूप से घायल हुए है। इंदौर के मयूर अस्तपाल में मेहता का उपचार चल रहा है। घटनाक्रम की जानकारी मिलने के बाद पत्रकारों में रोष व्याप्त है। कलमकारों की सूरक्षा को लेकर हर बार नेता और जनप्रतिनिधि वादे भी करते आए है लेकिन शासन के टोल नाकों पर गुंडागर्दी के दम पर कानून की धज्जियां उडाने का अधिकार किसी को नहीं हंै। घटना के विरोध स्वरूप प्रेस क्लब ने भी आज आईजी व्ही.मधुकुमार को एक ज्ञापन सौंपा है और कार्रवाई की मांग की है। खैर पुलिस-प्रशासन दबाव के चलते शायद कार्रवाई करें, लेकिन यदि किसी भी व्यक्ति पर टोल नाकों पर हमले के सिलसिले जारी रहे तो फिर वो दिन भी दूर नहीं है जब महाराष्ट्र की तर्ज पर आम व्यक्ति को मध्यप्रदेश में भी टोल नाकों को आग के हवाले करने का कदम उठाना पड़े।

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