बाल श्रम उन्मूलन के लिये सक्रिय हो- श्रमायुक्त पाण्डेय

 उज्जैन । स्थानीय मित्तल एवेन्यू में श्रम विभाग के साथ-साथ महिला एवं बाल विकास, शिक्षा व पुलिस विभाग में आपसी समन्वय से पाँच से 14 वर्ष के बच्चों द्वारा हो रहे बाल श्रम के उन्मूलन को लेकर कार्यशाला में आपसी विचार रखे। कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए अतिरिक्त श्रमायुक्त आर.जी.पाण्डेय ने श्रम विभाग को स्पष्ट तौर पर चेतावनी देते हुए कहा कि विभाग का गठन बाल श्रम रोकने के लिये और श्रमिकों को उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिये किया गया है। आजकल आंकड़ों और शोध में यह नजर आ रहा है कि विभाग अपनी जिम्मेदारी पूरी तन्मयता के साथ निभाने में असफल रहा है। अब समय आ गया है कि बदलते दौर में विभाग अपनी कार्यशैली और दायित्वों को लेकर सक्रिय हो जाये। एक ओर विभाग को यह भी देखना होगा कि दुकानों पर कार्य करने वाले और पैतृक कार्य करने वाले बालकों को स्कूलों तक कैसे पहुंचाया जाये। यह एक बड़ा ही विचारणीय प्रश्न है, जो शिक्षा विभाग को भी परेशान कर रहा है। श्रमायुक्त पाण्डेय ने उज्जैन संभाग के सभी श्रम अधिकारियों को स्पष्ट तौर से चेताते हुए एक माह में कम से कम पाँच प्रकरण बनाने के निर्देश दिये। उसके बाद परिणामों को लेकर आगे की कार्य योजना पर अमल करने की बात कही।प्रदेश में बाल श्रम उन्मूलन के लिये एवेन्यू में आधारवर्ती एवं अनुवर्ती सहबध्द संगठनों की भूमिका को लेकर कार्यशाला में कई प्रश्न सामने आये। इस संभागीय परामर्शी कार्यशाला में कई सुझाव भी पटल पर रखे गये। कार्यशाला में सामने आया कि वर्ष 2003 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा राइट टू एजुकेशन लागू किया गया, जो राइट टू लाईफ का अभिन्न अंग है। इसमें न सिर्फ बालकों का अधिकार है, बल्कि पालकों का और समाज का महत्वपूर्णर् कत्तव्य भी है कि समाज के बच्चों का बचपन बाल श्रम में न खप जाये। कार्यशाला में बाल अपराध आंकड़ों पर दृष्टि रखते हुए यह समझ में आया कि कुछ पालक मजबूरीवश मजदूरी कराने के लिये मजबूर हो जाते हैं। यहीं से विभागों की सरकारी भूमिका सामने आती है जो उनके जीवन को कार्यसिध्द करने में सफल हो सकती है। सरकारी विभागों और समाज का एक नकारात्मक बिन्दु यह है कि ऐसे पालकों तक उनकी पहुंच नहीं हो पाई है।नवीन आंकड़ों के मुताबिक उज्जैन संभाग के पाँच से 14 वर्ष तक के कुल 19 लाख 40 हजार 265 बच्चे मौजूद हैं, जिनमें से संभाग के छह जिलों में 95 हजार 768 बच्चे श्रम के रूप में कार्यरत् हैं। जहां बात औद्योगिक क्षेत्रों की की जाये तो अकेले उज्जैन और देवास में 68 प्रतिशत बच्चे श्रम कार्यों में संलग्न हैं। अकेले देवास में 24 हजार 363 पाँच से 14 वर्ष के बच्चे बाल श्रम में कार्यरत् हैं। आगामी समय में इन आंकड़ों को बदलने के लिये बेहतर कार्य योजना बनाकर उन्मूलन के नये तरीकों पर कई विचार कार्यशाला के माध्यम से सामने आये। अब विभागों की जिम्मेदारी है कि कार्य योजना बनाकर नये उन्मूलन के तरीकों पर कार्य किये जायेंगे।

No comments:

Post a Comment