नई दिल्ली। आर्थिक संकट से जूझ रहे तीनों नगर निगमों के महापौर को उस समय निराशा हाथ लगी जब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने निगमों को आर्थिक मदद देना तो दूर उनके हिस्से का ग्लोबल शेयर भी देने से मना कर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार चलाने के लिए वर्तमान में 5 हजार करोड़ रुपये की सख्त जरूरत है। केजरीवाल ने कहा कि पिछली सरकार खजाना खाली कर गई है। ऐसे में सरकार को कई चुनौतियों का सामना करना है। केजरीवाल ने तीनों महापौर को सुझाव दिया कि वे केंद्र सरकार से पैसा लेकर आएं, उनके पास केंद्र की दी हुई राशि जैसे ही आएगी उसे वह तुरंत निगमों को उपलब्ध करा देंगे। इस पर तीनों महापौर ने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली से सोमवार को मिलने का समय मांगा है।नगर निगम उत्तरी के महापौर योगेंद्र चंदोलिया ने मुख्यमंत्री के व्यवहार पर नाराजगी व्यक्तकी। चंदोलिया ने कहा कि आखिर नगर निगमों का ग्लोबल शेयर दिल्ली सरकार कैसे रोक सकती है? सरकार अपना कामकाज कैसे चलाएगी, यह उसे देखना है। उन्होंने कहा कि वे तो विभिन्न प्रकार के टैक्स व ड्यूटी में से निर्धारित निगमों के हिस्से की राशि देने की बात कर रहे थे, लेकिन केजरीवाल ने उनकी एक नहीं सुनी। चंदोलिया ने मांग की कि ग्लोबल शेयर के 302 करोड़ रुपये तुरंत जारी किए जाने चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने सरकार से चतुर्थ वित्त आयोग की रिपोर्ट को भी लागू किए जाने की मांग की।एमआरएफ की राशि नहीं की गई जारी-तीनों महापौर ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2007-08 में दिल्ली सरकार के टैक्स से होने वाली कुल आय के 5.5 फीसद को 2008-09 में घटाकर 4 फीसद कर दिया गया और शेष 1.5 फीसद म्यूनिसिपल रिफाम्र्स फंड (एमआरएफ) के रूप में दिल्ली सरकार ने अपने पास रख लिया। निगम के विभाजन के उपरांत वर्ष 2012-13 में सरकार से मांगी गई एमआरएफ राशि की भी आधी राशि ही जारी की गई। इसी तरह वर्ष 2013-14 में सरकार से मांगी गई एमआरएफ की राशि का एक भी पैसा नहीं मिला है। इसी प्रकार वर्ष 2004 में यूनिट एरिया प्रणाली लागू होने पर निगम को हुए घाटे की भरपाई के लिए तत्कालीन सरकार ने आश्वस्त किया था। यह राशि भी वर्ष 2005-06 से लंबित पड़ी है। उन्होंने निगम के सशक्तीकरण के लिए इस राशि को तत्काल जारी करने का आग्रह किया।इसके साथ ही उन्होंने अधिकृत नियमित कॉलोनियों, अनधिकृत कॉलोनियों में चल रही विभिन्न योजनाओं के लिए आवश्यक राशि सरकार से जारी करने को कहा। इसके अलावा योजनागत मद में विभिन्न योजनाएं सरकार की स्वीकृति के उपरांत चल रही हैं जिनमें पार्किंग, सड़कें, विद्यालय भवनों एवं समुदाय भवनों का निर्माण तथा पुल व ओवरब्रिज इत्यादि से संबंधित काम शामिल हैं। इनके लिए भी राशि जारी न होने के कारण परियोजनाओं में बाधा उत्पन्न हो रही है तथा जनता को समयबद्ध रूप से सेवाएं देने में बाधा आती है। केजरीवाल से मिलने वालों में नगर निगम दक्षिणी के महापौर खुशीराम चुनार व नगर निगम पूर्वी की महापौर मीनाक्षी तथा नगर निगम की स्थायी समिति के अध्यक्ष बीबी त्यागी आदि भी शामिल थे। बैठक में दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी मौजूद थे।कर्मचारियों को नियमित करने के लिए पैसा दे सरकार- नगर निगम दक्षिणी के महापौर खुशीराम चुनार ने मांग की है कि विभिन्न विभागों में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को नियमित करने के लिए सरकार धनराशि जारी करे। शनिवार को मुख्यमंत्री से मिलने गए महापौर ने उनसे कहा कि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में विभिन्न विभागों में चतुर्थ श्रेणी के लगभग 10,500 कर्मी हैं जो मुख्यत सफाई कर्मचारी, माली, चौकीदार इत्यादि पदों पर कार्य कर रहे हैं। ये सभी 10 सालों से भी अधिक वर्षों से निगम में दैनिक वेतन अथवा निविदा पर कार्यरत हैं। अत: इनकी सेवाओं को नियमित किए जाने के लिए 3150 करोड़ रुपये जारी किए जाएं ताकि इनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके।फंड नहीं है तो केंद्र से लाओ पैसे-केजरीवाल
नई दिल्ली। आर्थिक संकट से जूझ रहे तीनों नगर निगमों के महापौर को उस समय निराशा हाथ लगी जब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने निगमों को आर्थिक मदद देना तो दूर उनके हिस्से का ग्लोबल शेयर भी देने से मना कर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार चलाने के लिए वर्तमान में 5 हजार करोड़ रुपये की सख्त जरूरत है। केजरीवाल ने कहा कि पिछली सरकार खजाना खाली कर गई है। ऐसे में सरकार को कई चुनौतियों का सामना करना है। केजरीवाल ने तीनों महापौर को सुझाव दिया कि वे केंद्र सरकार से पैसा लेकर आएं, उनके पास केंद्र की दी हुई राशि जैसे ही आएगी उसे वह तुरंत निगमों को उपलब्ध करा देंगे। इस पर तीनों महापौर ने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली से सोमवार को मिलने का समय मांगा है।नगर निगम उत्तरी के महापौर योगेंद्र चंदोलिया ने मुख्यमंत्री के व्यवहार पर नाराजगी व्यक्तकी। चंदोलिया ने कहा कि आखिर नगर निगमों का ग्लोबल शेयर दिल्ली सरकार कैसे रोक सकती है? सरकार अपना कामकाज कैसे चलाएगी, यह उसे देखना है। उन्होंने कहा कि वे तो विभिन्न प्रकार के टैक्स व ड्यूटी में से निर्धारित निगमों के हिस्से की राशि देने की बात कर रहे थे, लेकिन केजरीवाल ने उनकी एक नहीं सुनी। चंदोलिया ने मांग की कि ग्लोबल शेयर के 302 करोड़ रुपये तुरंत जारी किए जाने चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने सरकार से चतुर्थ वित्त आयोग की रिपोर्ट को भी लागू किए जाने की मांग की।एमआरएफ की राशि नहीं की गई जारी-तीनों महापौर ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2007-08 में दिल्ली सरकार के टैक्स से होने वाली कुल आय के 5.5 फीसद को 2008-09 में घटाकर 4 फीसद कर दिया गया और शेष 1.5 फीसद म्यूनिसिपल रिफाम्र्स फंड (एमआरएफ) के रूप में दिल्ली सरकार ने अपने पास रख लिया। निगम के विभाजन के उपरांत वर्ष 2012-13 में सरकार से मांगी गई एमआरएफ राशि की भी आधी राशि ही जारी की गई। इसी तरह वर्ष 2013-14 में सरकार से मांगी गई एमआरएफ की राशि का एक भी पैसा नहीं मिला है। इसी प्रकार वर्ष 2004 में यूनिट एरिया प्रणाली लागू होने पर निगम को हुए घाटे की भरपाई के लिए तत्कालीन सरकार ने आश्वस्त किया था। यह राशि भी वर्ष 2005-06 से लंबित पड़ी है। उन्होंने निगम के सशक्तीकरण के लिए इस राशि को तत्काल जारी करने का आग्रह किया।इसके साथ ही उन्होंने अधिकृत नियमित कॉलोनियों, अनधिकृत कॉलोनियों में चल रही विभिन्न योजनाओं के लिए आवश्यक राशि सरकार से जारी करने को कहा। इसके अलावा योजनागत मद में विभिन्न योजनाएं सरकार की स्वीकृति के उपरांत चल रही हैं जिनमें पार्किंग, सड़कें, विद्यालय भवनों एवं समुदाय भवनों का निर्माण तथा पुल व ओवरब्रिज इत्यादि से संबंधित काम शामिल हैं। इनके लिए भी राशि जारी न होने के कारण परियोजनाओं में बाधा उत्पन्न हो रही है तथा जनता को समयबद्ध रूप से सेवाएं देने में बाधा आती है। केजरीवाल से मिलने वालों में नगर निगम दक्षिणी के महापौर खुशीराम चुनार व नगर निगम पूर्वी की महापौर मीनाक्षी तथा नगर निगम की स्थायी समिति के अध्यक्ष बीबी त्यागी आदि भी शामिल थे। बैठक में दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी मौजूद थे।कर्मचारियों को नियमित करने के लिए पैसा दे सरकार- नगर निगम दक्षिणी के महापौर खुशीराम चुनार ने मांग की है कि विभिन्न विभागों में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को नियमित करने के लिए सरकार धनराशि जारी करे। शनिवार को मुख्यमंत्री से मिलने गए महापौर ने उनसे कहा कि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में विभिन्न विभागों में चतुर्थ श्रेणी के लगभग 10,500 कर्मी हैं जो मुख्यत सफाई कर्मचारी, माली, चौकीदार इत्यादि पदों पर कार्य कर रहे हैं। ये सभी 10 सालों से भी अधिक वर्षों से निगम में दैनिक वेतन अथवा निविदा पर कार्यरत हैं। अत: इनकी सेवाओं को नियमित किए जाने के लिए 3150 करोड़ रुपये जारी किए जाएं ताकि इनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके।
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