भजपा को सरकार न बनाने की रणनीतिक भूल पड़ी भारी

 नई दिल्ली। छह महीने पहले दिल्ली में सरकार नहीं बनाने की रणनीतिक भूल भाजपा को भारी पड़ गई। अगस्त-सितंबर में भाजपा की सरकार बनाने के लिए फार्मूला तय हो गया था। कांग्रेस के छह विधायक टूटकर भाजपा का दामन थामने के लिए तैयार थे। उनसे सारी बातचीत पूरी हो चुकी थी। उप राज्यपाल नजीब जंग ने भी राष्ट्रपति से राजनीतिक विकल्प तलाशने की अनुमति तक मांग ली थी। लेकिन हरियाणा और महाराष्ट्र में ऐतिहासिक जीत के बाद आत्मविश्वास से भरी भाजपा ने दिल्ली में भी चुनाव मैदान में उतरने का फैसला कर लिया।ध्यान देने की बात है कि लोकसभा चुनाव के तत्काल बाद भाजपा विधायक रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कांग्रेस के आठ में से छह विधायकों के समर्थन के साथ दिल्ली में सरकार बनाने का विकल्प पेश किया था। लेकिन तब भाजपा नेतृत्व ने बिधूड़ी को मुख्यमंत्री बनाने से यह कहते हुए मना कर दिया था कि वे विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी में शामिल हुए हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री पद की उम्मीद में कई नेताओं ने दूसरे दलों के विधायकों को तोड़ने की कोशिश शुरू कर दी। लेकिन आप के स्टिंग आपरेशन के डर से किसी को सफलता नहीं मिल सकी।दिल्ली में सरकार बनाने की दोबारा गंभीर कोशिश अगस्त में शुरू हुई। इसके तहत पहले तो रामबीर सिंह बिधूड़ी को जगदीश मुखी को मुख्यमंत्री स्वीकार करने के लिए मनाया गया। बिधूड़ी इसके लिए तैयार भी हो गए। इसके बाद उपराज्यपाल ने राष्ट्रपति से सरकार बनाने के लिए नए सिरे से राजनीतिक विकल्प तलाशने की अनुमति मांगी। लेकिन भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की अड़ंगेबाजी ने इस मुहिम को मुकाम तक नहीं पहुंचने दिया।

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