राज्यपाल के खिलाफ एफआईआर, प्रदेश में संवैधानिक संकट

भोपाल। विधानसभा में मंगलवार को नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे ने राज्यपाल के अभिभाषण के खिलाफ अपनी बात रखी। कटारे ने सदन की कार्यवाही की वैधानिकता पर सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि जब राज्यपाल के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज हो गया है तो किस हैसियत से सदन चलाया जा रहा है और उनके अभिभाषण पर चर्चा का क्या औचित्य है।कटारे के सवाल पर स्पीकर ने कॉल-शकधर की किताब का हवाला देकर बताया कि राज्यपाल के किसी कृत्य पर सदन में कोई चर्चा नहीं हो सकती है। उन्होंने साथ में ये भी जोड़ा कि इस विषय को बार-बार ना उठाएं। संविधान की अनुच्छेद 175 के तहत सदन की कार्यवाही को वैधानिक बताया।कैसे हो गए अपराधी-विपक्ष द्वारा बार-बार राज्यपाल को कठघरे में खड़ा करने पर संसदीय कार्यमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा नाराज हो गए। उन्होंने विपक्ष से तीखे अंदाज में सवाल पूछा कि गवर्नर अपराधी कैसे हो गए? एफआईआर होना अलग बात है और अपराधी होना अलग।कांग्रेस में जवाब सुनने का साहस नहीं: शिवराज-मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अभिभाषण के जवाब में कहा कि कांग्रेस उनके नाम को लेकर न सिर्फ खौफजदा है बल्कि बौखला गई है। रात तो ठीक अब दिन के सपनों में भी शिवराज नजर आने लगा है। इसके बाद मुख्यमंत्री ने कांग्रेस के द्वारा उठाए गए मुद्दों का बिन्दुवार जवाब देने शुरू किया और कहा कि प्रदेश की वित्तीय स्थिति बहुत बेहतर है। कांग्रेस के जमाने में कुल जीडीपी के 35 प्रतिशत का कर्ज प्रदेश पर था और अब मात्र बीस फीसदी है। कर्ज बढ़ा है पर वो विकास के लिए लिया गया है। कांग्रेस तो कर्ज लेकर घी पिया करती थी। मुख्यमंत्री का इतना कहने के बाद सदन में हंगामा मच गया। विपक्षी सदस्य फिर राज्यपाल के मुद्दे पर सरकार का जवाब मांगने लगे और हंगामा मचाने लगे तो मुख्यमंत्री भी आपा खो बैठे।उन्होंने यहां तक कहा कि जब जवाब सुनने की बारी आई तो कांग्रेसी रणछोड़दास बन जाते हैं। उनमें जवाब सुनने का साहस नहीं है। पिछली बार भी सदन छोड़कर भाग गए थे। कांग्रेस ने तय कर लिया है कि कीचड़ उछालो और भाग जाओ। मैं सदन का नेता हूं और मेरा भी अधिकार है कि अपनी बात रखूं पर प्रतिपक्ष मर्यादाएं तार-तार कर रहा है। सदन के लिए मंगलवार का दिन काला इतिहास है।सदन में कोई मंत्री नहीं देगा जवाब: डॉ. नरोत्तम मिश्रासंसदीय कार्यमंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि जब सदन में हमारे नेता को बोलने नहीं दिया जा रहा है तो फिर कोई मंत्री विपक्ष के सवालों का जवाब भी नहीं देगा। हम सब मुख्यमंत्री के नॉमिनी है। जब उनको [मुख्यमंत्री] नहीं बोलने दिया जा रहा है तो फिर हमारा क्या औचित्य रह जाता है।भदौरिया और किरार भी हैं आरोपी-कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक रामनिवास रावत ने अभिभाषण के विरोध में कहा कि व्यापमं घोटाले में विधानसभा को भी अफसरों ने गुमराह किया है। इससे संबंधित कई प्रश्नों के गलत उत्तर दिए गए हैं।ग्वालियर के एक प्रकरण में आरोपियों की जानकारी मांगी तो उसमें गुलाब सिंह किरार को आरोपी नहीं बताया गया। मेरे द्वारा इसकी एफआईआर की कॉपी पहले ही हासिल कर ली थी, जिसके आधार पर मैंने एसटीएफ सहित कई अफसरों को पत्र लिखे। बजट सत्र शुरू होने के ठीक एक दिन पहले मुझे जवाब मिला कि गुलाब सिंह किरार भी आरोपियों में शामिल हैं लेकिन लिपकीय त्रुटि के कारण उनका नाम छूट गया था। रावत ने फिर सवाल दागा कि किरार कौन है, सब जानते हैं। उनको सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग में राज्यमंत्री का दर्जा दे रखा है। यही वजह है कि उन्हें और व्यापमं के पूर्व परीक्षा नियंत्रक सुधीर भदौरिया को अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है।स्पीकर ने जताया अफसोस मुख्यमंत्री के भाषण में बार-बार व्यवधान डालने और नहीं बोलने देने पर स्पीकर डॉ.सीतासरन शर्मा ने अफसोस जताया। उन्होंने कहा कि पिछले सवा साल में विधानसभा के जितने भी सत्र हुए, उसमें कांग्रेस ने व्यापमं के मुद्दे को उठाया। नियमों को शिथिल कर विपक्ष का स्थगन प्रस्ताव भी स्वीकार किया गया पर कांग्रेस का रवैया कभी सहयोगात्मक नहीं रहा। चर्चा का जवाब सुनने से कांग्रेस को हमेशा परहेज रहा।राज्यपाल पर एफआईआर का नहीं दिया जवाब-मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और ससंदीय कार्यमंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा से व्यापमं घोटाले में राज्यपाल के खिलाफ एफआईआर होने सबंधी सवाल पूछा गया तो किसी ने कोई जवाब नहीं दिया।मुख्यमंत्री ने केवल इतना कहा कि जांच हाईकोर्ट की निगरानी में एसटीएफ कर रही है। एसआईटी निगरानी का काम कर रही है। ऐसे में सदन में कोई उत्तर देना उचित नहीं था। वहीं, संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि इसकी सूचना पहले एफआईटी को मिलेगी। इसके बाद शासन के पास जानकारी आएगी, इसमें वक्त लगता है। दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा एसआईटी को कॉल डिटेल देने के मामले में चौहान ने कहा कि निराधार, असत्य और भ्रामक है। कागज का कोई पन्ना लाओ और आरोप लगा दो, ये कांग्रेस की फितरत हो गई है। सिंह के खिलाफ मानहानि का केस दायर करने पर कहा कि जिना मान ही नहीं है उनकी हानि क्या होगी।

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