माता-पिता, शिक्षक जीवित किताब की तरह हैं - कलेक्टर

 रायसेन |  माता-पिता, शिक्षक तथा परिवार के बड़े बजुर्ग जीवित किताब की तरह होते हैं। उनसे मिलने वाला ज्ञान उनके जीवन भर के अनुभवों का सार है। इसलिए इस जीवित और खुली किताब का सदैव उपयोग करना चाहिए। उनके अनुभव  आपकी समस्याओं के समाधान और आगे बढ़ने में मार्गदर्शक होंगे। यह बात कलेक्टर श्री जेके जैन ने केन्द्रि विद्यालय एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्वामी विवेकान्द के जन्म दिवस के अवसर पर आयोजित स्वस्थ्य संबंधी जनजागृति कार्यक्रम में कही।श्री जैन ने कहा कि एक उम्र पार करने के बाद बच्चों में शारीरिक एवं मानसिक परिवर्तन आते हैं, जो बिल्कुल स्वभाविक है। ऐसे समय बच्चों में अनेक विचार जन्म लेते हैं। कई बार बच्चे ढेर सारे विचारों के बीच भ्रम की स्थिति में होते है, कि उन्हें क्या करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में अपने शिक्षकों माता-पिता तथा परिवार के अन्य अनुभवी लोगों से अपनी समस्या शेयर करना चाहिए, उनसे मार्गदर्शन लेना चाहिए। कई बार मार्गदर्शन के अभाव में बच्चे रास्ते से भटक जाते हैं। बच्चों को अपने कैरियर के संबंध में बड़ों से डिस्कस करने से सही मार्गदर्शन मिलता मिलेगा।कार्यक्रम में डॉ.शशि ठाकुर ने बच्चों को स्वामी विवेकानन्द के जीवन के अनेक प्रेरणादायी प्रसंग सुनाएं। उन्होंने बताया कि स्वामी जी कम आयु में लडकियों के विवाह के घोर विरोधी थे। वे चाहते थे कि लड़कियां भी लड़कों की तरह ही शिक्षा प्राप्त करे और आगे बढ़े। बच्चों ने भी स्वामी विवेकानन्द के जीवन पर आधारित कई कार्यक्रम प्रस्तुत किए। इस अवसर पर केन्द्रिय विद्यालय के प्रचार्य तथा शिक्षक भी उपिस्थित थे।

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