झांसी- सांपों से खेलते हैं ये बच्चे

snake_childrenझांसी। सांप आसपास है, यह सुनते ही अच्छे-अच्छों के होश उड़ जाते हैं। कोई कल्पना भी नहीं कर सकता कि छोटे-छोटे बच्चे इन्हीं जहरीले सांपों के दोस्त भी हो सकते हैं। छोटे-छोटे इन बच्चे जहरीले नागों और सांपों के साथ खेलते हैं। सांपों के साथ ही खाते हैं। सांप इनके दोस्त हैं। बचपन से लेकर अब तक की जिंदगी इन्हीं सांपों के बीच ही गुजरी है। ये बच्चे स्कूल जाना छोड़ चुके हैं और इन सांपों के साथ ही रहते हैं। इस वजह से इन्हें विष कन्या और जहरीले बालक के नाम से जाना जाने लगा है। इन बच्चों का कहना है कि उन्हें सांपों के बीच अच्छा लगता है। झांसी से लगभग 70 किलोमीटर दूर समथर क्षेत्र में रहने वाले ये बच्चे खतरनाक सांपों के बीच ही रहते हैं। दरअसल, इसके घरवाले पहले सपेरे थे, लेकिन बाद में उन्होंने सपेरों का काम छोड़ दिया। उनके बच्चों को सांप का साथ इतना पसंद है कि उनके लिए इन्हें सांप को घर में रखना पड़ता है। बच्चे इन्हीं सांपों के साथ खेलते हैं।गांव के शंभूनाथ का बेटा मोनू (12), रामगोपाल का बेटा प्रकाश (10) को इन सांपों का साथ ही भाता है। मोनू बताता है कि नाग-नागिन हो या कोई और सांप, उन्हें सब अच्छे लगते हैं। वह इनके बिना ज्यादा देर नहीं रह सकते। आगरा के फाइव स्टार होटल में ठहरेंगे ओबामा के कुत्ते, मिलेगा ङ्कङ्कढ्ढक्क ट्रीटमेंटआगरा के इस होटल में रुकेंगे ओबामा, यहां की बाथरूम से भी दिखता है ताजक्च’स्रड्ड4: कर्नल की बेटी डिंपल यादव ने अखिलेश से की थी लव मैरिज जब ये बच्चे बैठते हैं, तो सांप इनके गले में लटक जाते हैं। ये बच्चे जब खाते हैं, तो सांपों को भी दूध पिलाते हैं। बुंदेलखंड के हमीरपुर से कुछ किलोमीटर दूर घाटमपुर की नाजनीन (10) हर पल सांपों से घिरी रहती है। फन फैलाए दर्जनों जहरीले नाग उसके गले, हाथों और पैरों से लटके रहते हैं। नाजनीन और दूसरे बच्चे कहते हैं कि सांपों से लोग डरते जरूर हैं, लेकिन ये दोस्त भी हो सकते हैं। वह इनके साथ रहते-खाते हैं। इन्हें प्यार मिले तो यह पालतू जानवर की तरह रह सकते हैं।विष कन्या और जहरीले बच्चों के नाम से जानते हैं लोगहर पल सांपों से घिरे रहने के कारण नाजनीन पूरे बुंदेलखंड में विष कन्या के नाम से मशहूर हो चुकी है। सांपों के साथ उसके रहन-सहन को देखने दूर-दराज से लोग पहुंचते हैं। इसी तरह से झांसी के समथर क्षेत्र में मोनू, प्रकाश भी इलाके में जहरीले बच्चों के नाम से जाने जाते हैं।जहरीले नागों के संग रहने की जिद से परेशान है परिवारनाजनीन के पिता भूरा और मोनू के पिता शंभूनाथ बताते हैं कि इन बच्चों को कुछ और अच्छा ही नहीं लगता है। वह बताते हैं कि कभी वह भी संपेरा थे, लेकिन समय के साथ ये काम छोड़ चुके हैं। वहीं, इन बच्चों को सांपों से बेहद लगाव हो गया। वह चाहते हैं कि ये बच्चे भी इन सांपों से दूर रहें, लेकिन बच्चे सांपों के लिये जिद पर अड़ जाते हैं। इन सांपों के लिए स्कूल भी नहीं जाते। ये सांपों का ख्याल रखते हैं और सांप इनकी रखवाली करते हैं।

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