चौहान व वसुंधरा राजे भी सीबीआइ के चपेट में

  
  भोपाल । मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी अब सीबीआइ के चपेट में आ गए हैं। 25 हजार करोड़ के अवैध खनन मामले मेंबृहस्पतिवार को हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने सीबीआइ को जांच का दायरा बढ़ाने का आदेश दे दिया। दायरे में मुख्यमंत्री चौहान व वसुंधरा राजे सहित 28 लोग आएंगे। मालूम हो कि झाबुआ [मप्र] और बांसवाड़ा व कुशलगढ़ [राजस्थान] में करीब 25 हजार करोड़ रुपये के अवैध मैगनीज खनन पर कांग्रेस नेता के.के.मिश्रा ने  ाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस संबंध में दस्तावेजों के आधार पर सीबीआइ भोपाल में गत 22 सितंबर को रिश्वतखोरी का मामला भी दर्ज कर चुकी है। दस्तावेजों के मुताबिक वर्ष 2012 में सुधीर शर्मा के घर पर आयकर विभाग ने छापा मारा था। घर से मिले दस्तावेजों में उनके द्वारा इंडिया ब्यूरो माइंस [आइबीएम] सहित अन्य विभागों के अधिकारियों को रिश्वत देने की पुष्टि हुई। छापामार कार्रवाई के दौरान मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा की लाइसेंसी रिवाल्वर भी शर्मा के घर से मिली थी। मिश्रा के अधिवक्ता मनोहर दलाल ने अदालत में पक्ष रखते हुए कहा कि भूमाफिया सुधीर शर्मा व अन्य को मध्य प्रदेश व राजस्थान सरकार ने संरक्षण देते हुए खदानें फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आवंटित कर दी थी। ो हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने सीबीआइ को जांच का दायरा बढ़ाने का आदेश दे दिया। दायरे में मुख्यमंत्री चौहान व वसुंधरा राजे सहित 28 लोग आएंगे। मालूम हो कि झाबुआ [मप्र] और बांसवाड़ा व कुशलगढ़ [राजस्थान] में करीब 25 हजार करोड़ रुपये के अवैध मैगनीज खनन पर कांग्रेस नेता के.के.मिश्रा ने  ाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस संबंध में दस्तावेजों के आधार पर सीबीआइ भोपाल में गत 22 सितंबर को रिश्वतखोरी का मामला भी दर्ज कर चुकी है। दस्तावेजों के मुताबिक वर्ष 2012 में सुधीर शर्मा के घर पर आयकर विभाग ने छापा मारा था। घर से मिले दस्तावेजों में उनके द्वारा इंडिया ब्यूरो माइंस [आइबीएम] सहित अन्य विभागों के अधिकारियों को रिश्वत देने की पुष्टि हुई। छापामार कार्रवाई के दौरान मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा की लाइसेंसी रिवाल्वर भी शर्मा के घर से मिली थी। मिश्रा के अधिवक्ता मनोहर दलाल ने अदालत में पक्ष रखते हुए कहा कि भूमाफिया सुधीर शर्मा व अन्य को मध्य प्रदेश व राजस्थान सरकार ने संरक्षण देते हुए खदानें फर्जी दस्तावेजों के आधार पर आवंटित कर दी थी।

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