जानिये क्‍या करते थे दिल्‍ली गैंगरेप के आरोपी

नई दिल्ली। दिल्ली के साकेत कोर्ट ने 16 दिसंबर, 2012 की रात 23 वर्षीया फीजियोथेरेपी छात्रा के साथ हुए सामूहिक बलात्‍कार और फिर हत्‍या के मामले में चारों अभियुक्तों को मंगलवार को दोषी करार दे दिया है। आज की रात इन चारों के लिये बहुत भारी होने वाली है, क्‍योंकि कल या तो इन्‍हें उम्रकैद होगी या फांसी। हालांकि देश इनके लिये फांसी ही मांग रहा है।अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश योगेश खन्ना ने चारों को गैंगरे, हत्या, पीड़िता के मित्र की हत्या के प्रयास, अप्राकृतिक अपराध, सबूतों को नष्ट करने और डकैती के मामले में दोषी पाया है। जज ने फैसला सुनाते हुए कहा, "मैं सामूहिक दुष्कर्म, पीड़िता की हत्या, शिकायतकर्ता (पीड़िता के मित्र) की हत्या की कोशिश, षडयंत्र, एक जैसे इरादे, सबूत को नष्ट करने के लिए सभी अभियुक्तों को दोषी करार देता हूं। इन सभी को कल बुधवार को सजा सुनाई जायेगी।"स मामले में कुल छह आरोपी थे- राम सिंह, मुकेश, पवन गुप्ता, विनय शर्मा, अक्षय ठाकुर और एक नाबालिग। आइये एक नजर डालते हैं इन छहों के प्रोफाइल पर, जिनमें राम सिंह इस दुनिया में अब नहीं है। उसने जेल में ही आत्‍महत्‍या कर ली थी।
राम सिंह
इस मामले के मुख्‍य आरोपी राम सिंह की मार्च 2013 में मौत तिहाड़ जेल में हो गई। पुलिस के अनुसार उसने सुसाइड किया, जबकि परिवार कहता है कि उसकी हत्‍या की गई। 33 वर्षीय राम सिंह एक विधुर था, जो रविदास स्‍लम कालोनी में रहता था। वह एक बस ड्राईवर था। जिस समय दिल्‍ली गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया गया, उस समय बस वही चला रहा था। उसके पड़ोसी बताते हैं कि वह आये दिन किसी न किसी से झगड़ा करता रहता था। मूल रूप से वह राजस्‍थान का रहने वाला था। उसके कुल पांच भाई हैं। बचपन में जब उसे स्‍कूल भेजा गया, तो प्राइमरी कक्षा के बाद ही उसने स्‍कूल छोड़ दिया। 2009 में एक बस दुर्घटना में उसके दायं हाथ में गभीर चोट लगी थी, उसी को आधार बनाकर उसके पिता ने हत्‍या का आरोप लगाया।
मुकेश सिंह
मुकेश सिंह राम सिंह का छोटा भाई है। उम्र लगभग 20 वर्ष। वह भी रविदास कालोनी में ही रहता था। इस पर आरोप है कि उसने बलात्‍कार की वारदात को अंजाम देने के बाद छात्रा और उसके दोस्‍त के सिर पर लोहे की रॉड से वार किया। जब छात्रा से छेड़छाड़ शुरू हुई, तब राम सिंह की जगह मुकेश ही ड्रार्इवर की सीट पर आकर बैठ गया था।
विनय शर्मा 
20 वर्षीय विनय जिम में असिस्‍टेंट फिटनेस ट्रेनर था। वह भी रविदास कालोनी में ही रहता था और मुकेश सिंह का पक्‍का दोस्‍त भी। इन सभी आरोपियों में यही एक है, जो पढ़ा लिखा है और अंग्रेजी समझ व बोल सकता है। इसने स्‍नातक प्रथम वर्ष तक पढ़ाई की है। विनय के वकील का कहना है कि वह उस रात दिल्‍ली में था ही नहीं। वह अन्‍य आरोपी पवन गुप्‍ता के साथ म्‍यूजिक फंशन में गया था।
अक्षय ठाकुर
28 वर्षीय अक्षय ठाकुर बिहार का रहने वाल है और उसे पुलिस ने 21 दिसंबर को गिरफ्तार किया था। वह बस में क्‍लीनर का काम करता था। उसने पिछले साल ही पढ़ाई छोड़ दी थी। अक्षय शादीशुदा है और उसका एक बेटा भी है। अक्षय का दावा है कि वह उस रात बिहार के लिये वारदात से पहले ही रवाना हो चुका था।
पवन गुप्‍ता
19 वर्षीय पवन गुप्‍ता परचून की दुकान लगाता था। रिपोर्ट के अनुसार वारदात को अंजाम देने के बाद सबसे घिनौना काम इसी ने किया। उसने लड़की की कमर के नीचे के हिस्‍से पर रॉड से हमला किया। जबकि उसके पिता हीरालाल का दावा है कि उस पर झूठा मुकदमा चलाया गया है। पिता के अनुसार उसने दोपहर को दुकान बंद की उसके बाद घर पर ही चिकन खाने व शराब पीने के बाद वह पास में ही एक म्‍यूजिक फंशन में चला गया। बाद में वह खुद वहां से उसको घर लाये।
नाबालिग आरोपी
छठा आरोपी नाबालिग है, जिसके नाम और तस्‍वीर का खुलासा नहीं किया गया है। उसकी उम्र 17 साल थी, जिस समय उसने वारदात को अंजाम दिया। उसी के चलते 31 अगस्‍त को जुवेनाइल कोर्ट ने उसे तीन साल की सजा सुनायी। वह दिल्‍ली पढ़ाई करने आया था, लेकिन स्‍कूल जाने के बजाये इधर-उधर काम करने लगा। बाद में वह राम सिंह के संपर्क में आया और उसी के साथ घूमा करता था। बताया जाता है कि इस हैवानियत भरी वारदात में सबसे ज्‍यादा दरिंदगी इसी आरोपी ने दिखाई थी।

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