दिल्ली गैंगरेप: नाबालिग को 3 साल की सजा

 
नई दिल्ली। दिल्ली गैंगरेप मामले में नाबालिग आरोपी को किशोर न्याय परिषद ने कसूरवार ठहरा दिया है। गैंगरेप में शामिल सबसे कम उम्र के इस आरोपी पर लगे सभी आरोप सही पाए गए। इसके साथ ही परिषद ने उसे तीन साल के लिए सुधारगृह में भेजने का आदेश दे दिया। बीते साल 16 दिसंबर को चलती बस में गैंगरेप के बाद ये मामला सुर्खियों में आया था।शनिवार को सुबह से ही दिल्ली के किशोर न्याय परिषद के दफ्तर के बाहर मीडिया और आम लोगों की जबरदस्त भीड़ थी। सबको दिल्ली में चलती बस में हुए गैंगरेप कांड में पहले फैसले का इंतजार था। तय वक्त पर पुलिस आरोपी को लेकर किशोर न्याय परिषद में पहुंची। दोपहर करीब साढ़े तीन फैसला आया तो कुछ चेहरों पर राहत थी। बोर्ड ने वारदात के वक्त नाबालिग आरोपी को गुनहगार ठहरा दिया। बोर्ड ने नाबालिग पर लगे सभी आरोपों को सही पाया, उसे लूट और गैंगरेप का दोषी पाया गया। इसके बाद गुनहगार को तीन साल सुधारगृह में रखने का हुक्म दियादरअसल में इस मामले में अधिकतम तीन साल के लिए ही सुधारगृह भेजा जा सकता था। बचाव पक्ष के वकील ने दावा किया कि परिषद के फैसले पर पूरी तरह से गौर करने के बाद वो आगे अपील भी कर सकते हैं। हालांकि गैंगरेप के वक्त नाबालिग रहे इस दोषी पर किन धाराओं के तहत ये फैसला आया, इसका जिक्र बाहर नहीं किया गया। असल में कोर्ट ने सभी पक्षों को हिदायत दी कि गुनाह की धाराओं के बारे में मीडिया से बात नहीं की जाए। सिर्फ कुछ धाराओं में दोषी पाए जाने का खुलासा किया जाए। वरिष्ठ वकील सुब्रह्मण्यम स्वामी ने तो फौरन ही फैसले के खिलाफ अपील करने का इरादा जता दिया, वहीं बहादुर बेटी की मां भी फैसले को लेकर निराश दिखी।गौरतलब है कि गुनाह के वक्त दोषी नाबालिग था, लेकिन फैसले के वक्त तक वो बालिग हो चुका था। बहादुर बेटी की मां को इस मामले में ज्यादा सख्त फैसले का इंतजार था। लेकिन इस फैसले के आने के बाद वो बेटी को याद कर फूट फूट कर रो पड़ीं। यानी इस फैसले के बाद भी गुनहगार और फैसले को लेकर बहस का सिलसिला जारी रहेगा। वहीं आरोपी को महज तीन साल की सजा मिलने से पीड़ित परिवार बेहद नाराज हैं। परिवार ने फैसले के खिलाफ असंतोष जताया है। आरोपी नाबालिग को तीन साल की सजा को उन्होने नाकाफी बताया है।

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