केदारनाथ खाली कराया गया, लोग सुरक्षित निकाले गए

गढ़वाल। शनिवार से लगातार हो रही मूसलधार बारिश ने गढ़वाल में भी भयंकर तबाही मचाई है। इस तबाही के बाद अब सेना और आपदा प्रबंधन की टीम बुधवार सुबह से ही राहत कार्य में जुट गई है। मौसम साफ होने के चलते सेना को केदारनाथ में फंसे सभी लोगों को हेलीकाप्टर से सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने में मदद मिल रही है। बताया जा रहा है कि केदारनाथ को पूरा खाली करा दिया गया है। गौरतलब है कि मंगलवार से शुरू हुई इस मुहिम के तहत केदारनाथ से अब तक करीब डेढ़ हजार से अधिक लोगों को निकाल लिया गया है। रेस्क्यू के लिए सेना के हवाले किए गए केदारनाथ घाटी क्षेत्र में पहले केदारनाथ में फंसे लोगों को ही सुरक्षित निकालने की अभियान चलाया गया। इसके बाद आसपास के क्षेत्रों में फंसे लोगों को निकाला जाना है। साथ ही विभिन्न स्थानों पर बंद पड़े रास्तों को खोलने की कवायद भी शुरू हो गई है। शासन के अनुसार पूरे प्रदेश में अब तक आपदा से मरने वालों का आंकड़ा 54 पर पहुंच गया है। हालांकि अभी केदारनाथ, रामबाड़ा आदि स्थानों में लापता लोगों की तलाश का काम शुरू नहीं किया गया। माना जा रहा है कि मरने वालों की संख्या हजारों तक हो सकती है। उत्तरकाशी में गंगोत्री व यमुनोत्री मार्ग पर फंसे यात्रियों की मदद के लिए भी रेस्क्यू शुरू कर दिया गया है। साथ ही चमोली में भी जोशीमठ से लेकर बदरीनाथ तक व गोविंदघाट से लेकर घांघरिया तक फंसे करीब दस हजार लोगों को खाद्य साम‌र्ग्री पहुंचाने का काम शुरू हो चुका है। शासन का दावा है कि दोपहर तक चारधाम यात्रा मार्ग पर फंसे करीब 19 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है।शनिवार से हुई बारिश ने गढ़वाल में रुद्रप्रयाग के केदारनाथ, रामबाड़ा, चमोली, टिहरी व उत्तरकाशी जनपद में भारी तबाही मचाई। इस तबाही का सही आंकलन जिला प्रशासन के पास भी नहीं था। रविवार की देर रात तक यही सूचना थी कि रुद्रप्रयाग-केदारनाथ मार्ग,चमोली में चमोली से लेकर बदरीनाथ तक,उत्तरकाशी में गंगोत्री व यमुनोत्री मार्ग में सैकड़ों स्थानों पर सड़कें ध्वस्त हो गई हैं। कई पुलिया व मकान टूटने से चार धाम के रास्तों में करीब तीस हजार यात्री फंसे हुए हैं। इस दिन केदारनाथ में मलबे में दबकर दो लोगों की मौत व एक व्यक्ति के बरसाती नाले में बहने की सूचना थी।देहरादून में एक मकान के ढहने से एक ही परिवार के तीन लोग के मरने, हरिद्वार में गंगा के खतरे के निशान पर होने, हेमकुंड साहिब में ग्लेशियर टूटने, उत्तरकाशी में बाढ़ जैसे हालात व रुद्रप्रयाग से केदारनाथ तक मंदाकनी व बदरीनाथ से लेकर देवप्रयाग तक अलकनंदा के उफान पर होने की सूचना थी। कुमाऊं में पिथौरागढ़ में भी बारिश से सड़कें ध्वस्त हो गई थी। आपदा से रुद्रप्रयाग में 11, देहरादून में सात, टिहरी में नौ, उत्तरकाशी में दो व चमोली में एक और कुमाऊं के अल्मोड़ा जिले में पांच लोगों के मरने की सूचना सोमवार की देर रात तक थी। तब तक केदारनाथ में 11 शव निकाल लिए गए थे। रामबाड़ा में 50 से अधिक लोगों के लापता होने की आशंका जताई जा रही थी।गौरीकुंड से केदारनाथ के 14 किलोमीटर के पैदल मार्ग के बीच में पड़ने वाले रामबाड़ा का कोई निशान तक नहीं मिल पा रहा था, लेकिन वहां की पुख्ता जानकारी प्रशासन के पास थी नहीं थी।रुद्रप्रयाग में मंदाकनी नदी के उफान से जिले के सोनप्रयाग, चंद्रापुरी, अगस्त्यमुनि का बड़ा भाग जलमग्न हो गया। यात्रा का अहम पड़ाव गौरीकुंड का निचला हिस्सा भी जलमग्न हो गया था। रविवार की रात ही प्रशासन ने प्रभावित स्थानों को खाली कराकर करीब बीस हजार से ज्यादा लोगों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचा दिया। रुद्रप्रयाग के एक दर्जन से ज्यादा झूला पुल और तीन मोटर पुल बहने से ज्यादातर इलाके अलग-थलग पड़ गए।

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