नई दिल्ली । चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जेएस खेहर और सुप्रीम कोर्ट के जजों के खिलाफ बगावती तेवर अपनाने वाले कलकत्ता हाई कोर्ट के जज जस्टिस कर्णन पर बड़ी कार्रवाई हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने कर्णन को अदालत, न्यायिक प्रक्रिया और पूरी न्याय व्यवस्था की अवमानना का दोषी मानते हुए छह महीने की सजा सुनाई है। जस्टिस कर्णन भारतीय जुडिशल सिस्टम के इतिहास में पहले ऐसे जज होंगे, जिन्हें पद पर रहने के दौरान जेल भेजे जाने का आदेश दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि आदेश का तुरंत पालन हो। सुप्रीम कोर्ट ने भविष्य में जस्टिस कर्णन के बयानों को मीडिया में प्रकाशित किए जाने पर भी रोक लगा दी है। खेहर की अगुआई वाली बेंच ने वेस्ट बंगाल के डीजीपी को निर्देश दिया है कि वह कर्णन को कस्टडी में लेने के लिए कमिटी गठित करें। क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने-अडिशनल सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह, सीनियर एडवोकेट केके वेणुगोपाल और रूपिंदर सिंह सूरी ने कहा कि जस्टिस कर्णन को सजा मिलनी ही चाहिए। हालांकि, वेणुगोपाल ने कहा, 'अगर जस्टिस कर्णन को जेल भेजा जाता है कि इससे जुडिशरी पर एक पदासीन जज को जेल भेजने का कलंक लगेगा।' वेणुगोपाल के मुताबिक, सोचना यह है कि क्या सीटिंग जज को सजा दी जाए या फिर उनके रिटायरमेंट के बाद सजा दी जाए क्योंकि वह जून में रिटायर हो रहे हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अवमानना के मामले में यह नहीं देखा जा सकता है कि ऐसा एक जज ने किया है या आम शख्स ने। चीफ जस्टिस की अगुआई वाली बेंच ने कहा, 'अगर जस्टिस कर्णन जेल नहीं भेजे जाएंगे तो यह कलंक आरोप लगेगा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक जज की अवमानना को माफ कर दिया।' कोर्ट ने कहा कि कर्णन को सजा इसलिए दी जा रही है क्योंकि उन्होंने खुद यह ऐलान किया था कि उनकी दिमागी हालत ठीक है।सीजेआई को सुनाई थी सजा -दलित वर्ग के नाम पर घोर अपराध, दलित शब्द का दुरपयोग ! मेरी समझ से अब समय आ गया कि आरक्ष्ण एवं अल्पसंख्यक शब्द को पुन-परिभाषित किया जाये |इससे पहले, जस्टिस सी एस कर्णन ने सोमवार को भारत के चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट के 7 अन्य जजों को 5 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। उन्होंने शीर्ष अदालत के 7 जजों की बेंच के सदस्यों के नाम लिए, जिनमें चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर, जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष और जस्टिस कुरियन जोसफ हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की इस बेंच ने जस्टिस कर्णन के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए अवमानना कार्यवाही शुरू की थी और उनके न्यायिक और प्रशासनिक कामकाज पर रोक लगा दी थी। क्या है पूरा मामला-जस्टिस कर्णन ने 20 पद पर काबिज जजों और सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के जजों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। इस संबंध में उन्होंने एक एक शिकायत भी की थी। अब उन्होंने CBI को इस शिकायत की जांच करने का आदेश दिया है। जस्टिस कर्णन ने CBI को निर्देश देते हुए इस जांच की रिपोर्ट संसद को सौंपने के लिए कहा है। इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए CJI ने इसे अदालत की अमनानना बताया था। इसके बाद 7 जजों की एक खंडपीठ का गठन किया गया, जिसने जस्टिस कर्णन के खिलाफ कोर्ट के आदेश की अवमानना से जुड़ी कार्रवाई शुरू की। इस मामले पर मध्य प्रदेश उच्च न्यायलय के सीनियर एडवोकेट रोशन सोनकर ने कहा...." सर्वोच्च न्यायालय ने कर्णन के मामले में जो फैसला दिया उस पर में टिप्पणी नहीं कर रहा हूं किंतु सुप्रीम कोर्ट ने अपने आप को यह दर्शा दिया है कि पुलिसिया अंदाज में है कैसे कार्रवाई की जाती है जब फरियादी को ही आरोपी बना दिया जाता है जस्टिस करनन शिकायत की थी तो सुप्रीम कोर्ट को भी उसकी जांच सतर्कता आयोग से या किसी रिटायर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से करानी थी किंतु सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा नहीं किया और जिन जजों पर आरोप है वे स्वयं ही इस प्रकरण में खंडपीठ बना कर बैठ गए जबकि चीफ जस्टिस खेहर को अपने आप को स्वयं इस प्रकरण से अलग हटा लेना था क्यों सबसे ज्यादा आरोप उन्हीं पर थे अब सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्नन की स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति पर भी रोक लगा दी जब सुप्रीम कोर्ट सर्व शक्तिमान है अब उसे डर किस बात का है क्यों जस्टिस करनन की बयान को और मीडिया में आने से उस को रोका है इससे ऐसा लगता है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आप में बहुत बड़ी गलती करी है और अब उस गलती को रोकने के लिए संविधान में स्वतंत्र अभिव्यक्ति के अधिकार को रोककर सुप्रीम कोर्ट कानून से ऊपर उठकर अपने आप को बता रही है कि हम ही सब कुछ है सुप्रीम कोर्ट के उन 7 जजो तत्काल ही ईस्तीफा देना चाहिए क्योंकि अभिव्यक्ती आजादी सभी को है ओर सुप्रीम कोर्ट के मा.जज भी कानून से ऊपर नही है "। हालांकि संबैधानिक मामलों के जानकारों का कहना है इस मामले को जस्टिक कर्णन इंटरनेशनल कोर्ट ले जा सकते है।
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