हाइकोर्ट के मूल आदेश के विरुद्ध भ्रामक खबर..

भोपाल । न्यायिक मामलों की खबर लिखते समय बहुत सावधानी की जरूरत होती है। आप तथ्यों के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते। जबकि जो शीर्षक दिया है वही हाइकोर्ट के मूल आदेश के विरुद्ध है। बहुत से समाचार पत्र और पत्रकार साथी इसे गंभीरता से नहीं लेते ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है जब एक जिम्मेदार बड़े समाचार पत्र ने अपने जबलपुर संस्करण में यह समाचार प्रकाशित किया है । जबकि इस प्रकार का कोई आदेश मा. हा. कोर्ट द्वारा नहीं दिया गया है ।सूत्रों ने इसे  भ्रामक बताया है । अभी दूरदर्शन भोपाल में चल रही संवाददाताओं  की नियुक्ति प्रक्रियाओं को प्रभावित करने की भावना से उक्त समाचार प्रकाशित किया गया प्रतीत होता है ।जो भी युवा पत्रकार बंधू अपने करियर को लेकर संजीदा हैं वो भ्रामक खबरों के झांसे में न आएं ।

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