वाशिंगटन। फ्लोरिडा के वन्यजीव अधिकारियों ने जंगलों में मौजूद बर्मी अजगरों को पकडऩे के लिए दो भारतीय सपेरों को काम पर रखा है। इन अजगरों ने छोटे स्तनधारी प्राणियों को अपना निवाला बनाकर कुछ प्रजातियों को विलुप्ति के कगार पर पहुंचा दिया। भारत के सफल सपेरे मासी सदाइयान और वैदिवेल गोपाल तमिलनाडु की इरला जनजाति के हैं और उन्हें दो अनुवादकों के साथ बड़े सांपों का पता लगाने और उन्हें पकडऩे के लिए इस महीने की शुरुआत में बुलाया गया।ये सपेरे अजगरों को पकडऩे में माहिर हैं। उन्होंने सिर्फ आठ दिन में एक 16 फुट लंबी मादा अजगर समेत 13 अजगरों को पकड क़र फ्लोरिडा फिश ऐंड वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन कमिशन एफडब्ल्यूसी के अधिकारियों को हैरान कर दिया।एफ.डब्ल्यू . सी .और फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के खाद्य और कृषि विज्ञान संस्थान के अधिकारियों ने इसे एक ‘‘अनोखी परियोजना’’ बताया। एफडब्ल्यूसी के वाइल्डलाइफ मैनेजमेंट सेक्शन के सेक्शन लीडर क्रिस्टन सोमर्स ने कहा कि इरला अपने देश में अजगरों को बड़ी कुशलता से पकड़ते हैं, ऐसे में हमें उम्मीद है कि वह फ्लोरिडा में लोगों को अपना कुछ कौशल सिखा सकते हैं।एक मीडिया विज्ञप्ति के अनुसार, विश्व प्रसिद्ध इरला जनजाति के लोगों ने काम पर पहले आठ दिनों में क्रोकोडाइल लेक नेशनल वाइल्डलाइफ रिफ्यूजी में पहले दौरे पर चार अजगरों समेत कुल 13 अजगरों को पकड़ा। पारंपरिक तौर पर इरला जनजाति का मुख्य पेशा सांप पकडऩा रहा है। इरला सपेरों और उनके अनुवादकों को दक्षिण भारत स्थित उनके घर से दक्षिण फ्लोरिडा बुलाने के लिए 68,888 डॉलर की रकम अदा की गई। वे फरवरी तक फ्लोरिडा में रुकेंगे।
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