ग्वालियर। पहले छोटी बच्चियों को चुराया जाता और फिर उनसे भीख मंगवाई जाती। ये बच्चियां जल्दी जवान हों, इसके लिए हार्मोन्स के इंजेक्शन लगाते थे। जब लड़कियां जवान हो जाती तो उन्हें मुंबई से लेकर दिल्ली और कोलकाता के रेड लाइट एरिया में प्रोस्टिट्यूटशन के पेशे में भेज देते थे। ये हैरान करने वाले तथ्य बच्चियां चोरी करने वाले गैंग ने उजागर किए हैं।
- ग्वालियर में कुछ दिन पहले पकड़ी बच्ची चोर लक्ष्मी और उसकी गैंग से पूछताछ में गैंग के तार यहां के बदनाम रेड-अलर्ट एरिया बदनापुरा और रेशमपुरा से जुड़े पाए गाए हैं।
- गैंग से पूछताछ जारी है और इस दौरान प्रतिदिन नए खुलासे हो रहे हैं। ये गैंग बच्चियों को प्रोस्टीट्यूट बनने का काम करता था।
- गैंग लक्ष्मी और दूसरे सदस्यों के जरिए अगवा कर लाई गई बच्चियों की स्मृति से पहले उनके असली मां-बाप को हटाने के लिए उनके नाम बदल देता है।
- बच्चियों को नए नामों की आदत हो जाने और पुराने माता-पिता को भूल जाने पर उन्हें भीख मांगना सिखाया जाता है।
- जवान होने तक इनसे भीख मंगवाई जाती है। बच्चियां जल्द जवान हों इसके लिए एस्ट्रोजन और ऑक्सीटोसीन हार्मोंस के बहुत कम डोज के इंजेक्शन रेग्यूलर दिए जाते हैं। इन इंजेक्शन असर से बच्चियां 12 साल तक जवान दिखने लगती हैं।
- जब ये जवान दिखने लगती हैं तो इन्हें बदनापुरा-रेशमपुरा में प्रोस्टिट्यूशन बिजनेस के तौरतरीके सिखाए जाते हैं।
- भड़कीले बार डांस और बिजनेस एटीकेट्स में पारंगत होने को बाद इन्हें मुंबई और कोलकाता के सोनागाछी में बेच दिया जाता है।
- कुछ कम ट्रेंड हो सकी लड़कियों को यूपी और राजस्थान के रेड-अलर्ट एरियाज में उतार दिया जाता है।
- पुलिस ने इन खुलासों के बाद मंगलवार को शहर के रेड-अलर्ट एरिया माने जाने वाले बदनापुरा-रेशमपुरा में दबिश दी।
-गैंग के पकड़े जाने के बाद ही ये एजेंट्स लड़कियों समेत सुरक्षित ठिकानों में शिफ्ट हो गए हैं। पुलिस फिलहाल इन एजेंट्स को तलाश कर रही है।
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