लखनऊ । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आठ नवंबर को पांच सौ तथा एक हजार रुपए के नोट को प्रचलन से बाहर करने के बाद लोगों ने अपना काला धन खपाने को जनधन खाता का सहारा लिया। करीब एक माह के अंदर जनधन खाता में 75 हजार करोड़ रुपया जमा हो गया। इसमें भी सर्वाधिक 12,021.32 करोड़ रुपया उत्तर प्रदेश में जमा हुआ है।पीएम मोदी के पांच सौ तथा एक हजार का नोट बंद करने की घोषणा के बाद से लोगों ने जनधन खाता में शरण ली। नोटबंदी के बाद जनधन खाता सर्वाधिक चर्चा में है। नोटबंदी के शुरुआती दिनों में ही इन खातों में अचानक से पैसे आने लगे।वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक सात दिसंबर तक तकरीबन 75 हजार करोड़ रुपए जनधन खातों में जमा हो चुके हैं। इसमें भी देश की सबसे अधिक आबादी राज्य उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। उत्तर प्रदेश के बाद पश्चिम बंगाल और राजस्थान में सबसे अधिक पैसा जनधन खाता में जमा हुआ है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभालते ही सबसे पहले उन लोगों से बैंक अकाउंट खुलवाने की अपील की जिन्होंने अभी तक बैंक का मुंह नहीं देखा था। केंद्र सरकार ने ऐसे लोगों का मुफ्त में खाता खुलवाया था। इनका खाता जीरो बैलेंस पर भी चल रहा था।इनमें लोगों के खाता तो खुल गए लेकिन उसमें पैसे कम ही दिखाई देते थे। नोटबंदी की घोषणा के साथ ही इन जनधन खातों में अचानक से पैसे जमा होने लगे। इसका जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गाजीपुर में अपनी जनसभा में भी किया था। कई जगहों से ऐसे मामले भी आए जिसमें कालाधन रखने लोग दूसरों के जनधन खातों में पैसे जमा करवा रहे थे।वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार सात दिसंबर तक जनधन खातों में कुल जमाराशि 74,610 करोड़ रुपए थी। उत्तर प्रदेश में 3.8 करोड़ जनधन खातों में सबसे अधिक 12,021.32 करोड़ रुपए जमा थे। पश्चिम बंगाल में 2.44 करोड़ खातों में 9,193.75 करोड़ रुपए जमा थे। राजस्थान में जनधन खातों की संख्या 1.9 करोड़ और इनमें जमाराशि 6,291.1 करोड़ रुपए, बिहार में 2.62 करोड़ खातों में 6,160.44 करोड़ रुपए जमा हुए थे।नोटबंदी के बाद से जनधन खातों में 28,973 करोड़ रुपए की भारी राशि जमा हुई है, इसके बावजूद शून्य शेष वाले खातों की संख्या 20 प्रतिशत से अधिक है।
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