मसूरी की खोज 1823 में फ्रेडरिक यंग ने की थी ..

मसूरी |आएये आपका परिचय करते है मसूरी से जिसे पहाड़ों की रानी भी कहते हैं देहरादून से मात्र 32 कि मी की दुरी पर स्थित है , और ये हालाँकि ऑफ सीजन है , पर मसूरी में मौसम बड़ा सुहाना है |मसूरी की खोज 1823 में कंपनी के अधिकारी फ्रेडरिक यंग ने की थी , बड़ी जल्दी ही इसकी स्थैतिक ख़ूबसूरती से प्रभावित होकर कई प्रसिद्द संस्थान खुलने चालू हो गए | आपको आश्चर्य होगा की 1843 में यहाँ लाइब्रेरी की स्थापना हो गयी थी , 1850 में यहाँ पहली मद्यनिर्माण शाला स्थापित हुईं , जो अब बढ़ कर 20 से ज्यादा हो चुकी हैं | इस शहर के दीवाने कई थे , जार्ज एवेरेस्ट का बंगला अब खंडहर हालात में अब भी यहाँ है | मोतीलाल नेहरू यहाँ अक्सर आया करते थे और नेहरू परिवार बरसों यहाँ सेवाय होटल में रुका करता था | पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गाँधी यहाँ 1920 से 1940 तक रूकती रही हैं | आज भी यह सेवाय होटल जो 1902 में बना था , वैसा ही विद्यमान है , और इसे वर्तमान में फार्च्यून ग्रुप चला रहा है | मैंने अपने कुछ साथियों के साथ इस आलीशान होटल में चाय का लुत्फ़ हासिल किया है |ये होटल अभी भी उसी हेरिटेज स्वरूप में संधारित है , हालाँकि वो हिस्सा अभी नवीनीकरण के सुपुर्द हैं जहाँ नेहरू परिवार रुका करता था lमसूरी का सर्वाधिक आकर्षण का केंद्र मॉल रोड है जो सैलानियों को भरपूर आकर्षित करता है | कहते हैं की अंग्रेजों के ज़माने में यहाँ बोर्ड लगा करता था जिसमे यह लिखा हुआ था की " इंडियंस एंड डॉग्स आर नॉट अलाउड " और मोतीलाल नेहरू जो अपने ज़माने के बड़े जाने माने बैरिस्टर थे जब भी यहाँ आते , माल रोड अवश्य घूमने जाते और जुर्माना भी भरते ये उनके विरोध का एक तरीका था | खैर मसूरी में जहाँ हमारी अकादमी स्थित है वह पहले शार्लविल होटल हुआ करता था जो 1870 में बनाया गया था | 1959 में यहाँ लाल बहादुर शास्त्री राष्र्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी की स्थापना हुई , जो भारतीय प्रशासनिक सेवाओं के अधिकारियों को सेवापूर्व और मध्यावधि प्रशिक्षण देने का काम करती है | इन दिनों मैं मध्यप्रदेश के भा प्र से के 8 साथियों सहित मसूरी में फेज 3 की ट्रेनिंग ले रहा हूँ वैसे इस प्रशिक्षण में भारत के विभिन्न प्रान्तों के तकरीबन सौ से अधिक अधिकारी प्रशिक्षण ले रहे हैं|आन्नद शर्मा जी(IAS) से साभार |
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