ऋण उपलब्ध कराने के बाद भी बैंकर्स विद्यार्थी से सम्पर्क में रहे
कलेक्टर ने बैंकर्स से कहा कि शिक्षा ऋण उपलब्ध कराने के बाद भी निरन्तर विद्यार्थियों से सम्पर्क करते रहें, जिससे उनमें ऋण और उसकी अदायगी को लेकर निरन्तर संवाद हो सके। कलेक्टर ने बैंकर्स को व्यावसायिक कोर्स और तकनीकी कोर्स को लेकर ऋण उपलब्ध कराने की प्रक्रिया को सरल करने के भी निर्देश दिये। उन्होंने बीसीए, एमसीए, बायोटेक्नालॉजी, माइक्रोबायोलॉजी जैसे कई व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिये शिक्षा ऋण उपलब्ध कराने की बात कही।
शिक्षा ऋण के लिये आवश्यक दस्तावेज
व्यावसायिक दक्षता वाले पाठ्यक्रमों तथा तकनीकी पाठ्यक्रमों के लिये शिक्षा ऋण प्राप्त करने की प्रक्रिया अत्यन्त सरल है। इसके लिये सम्बन्धित विद्यार्थी को हाईस्कूल, हायर सेकेण्डरी स्कूल, प्रवेश लेने वाले कॉलेज की मान्यता सम्बन्धी दस्तावेज व प्रवेश शुल्क की जानकारी, अभिभावक का पता व आय प्रमाण-पत्र आदि की आवश्यकता होती है। बैठक में बैंकर्स और शिक्षण संस्थाओं के प्रतिनिधियों के समक्ष यह प्रश्न भी आया कि विद्यार्थी को मिलने वाली छात्रवृत्ति का समायोजन शिक्षा ऋण में किया जाये या नहीं। कलेक्टर श्री कियावत ने इस विषय पर बैंकर्स और शिक्षण संस्थाओं के प्रतिनिधियों को स्पष्ट निर्देश दिये कि शिक्षा ऋण केवल कॉलेज का शुल्क आदि जमा करने के लिये और प्रवेश लेने के लिये होता है, जबकि छात्रवृत्ति विद्यार्थी को अन्य गतिविधियां जैसे- पुस्तकें, स्टेशनरी, परिवहन व्यय आदि सुविधाओं के लिये प्रदान की जाती है। छात्रवृत्ति का शिक्षा ऋण से समायोजन नहीं किया जा सकता। यदि हर छह माह में बैंकर्स को ब्याज नहीं मिलता है तो शासन डिफाल्टर है, न कि विद्यार्थी।
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