संघ प्रमुख ने की वैचारिक महाकुंभ की शुरूआत
उज्जैन| निनौरा में तीन दिनी वैचारिक महाकुंभ का शुभारंभ गुरुवार को हुआ। चार विचार कुंभों में विभाजित इस विचार मंथन का शुभारंभ संघ प्रमुख मोहन भागवत ने किया। इस दौरान सीएम शिवराजसिंह चौहान, जूना अखाड़े के पीठाधीश अवधेशानंद गिरि, गायत्री परिवार के प्रमुंख डॉ. प्रवण पंड्या, बौद्ध गुरु बेन बानगल थेरो और सांसद अनिल दवे सहित 45 देशों से आए लोग मौजूद हैं। निनौरा में अतिथियों ने अब दीप प्रज्जवलित कर की समारोह का विधिवत शुभारंभ, सुरेन्द्र पटवा ने किया मोहन भागवत का स्वागत, सांसद चिंतामणी मालवीय ने किया अवधेशानंद जी का स्वागत, प्रणव पंड्या का मनोज श्रीवास्तव ने किया स्वागत। अनिल दवे कर रहे है समारोह का संचालन। स्वागत भाषण और वैचारिक महाकुंभ की उत्पत्ति की जानकारी दे रहे है मुख्यमंत्री शिवराज। मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा : वैचारिक महाकुंभ में आए सभी विद्वानों का स्वागत करके हम धन्य हुए है, मध्यप्रदेश भारत का ह्रदय प्रदेश है। शिप्रा के तट पर अमृत मेला लगा है, लाखों श्रद्धालुओं और संत वहां भी विचार कर रहे है। मध्यप्रदेश सरकार के मन में यह भाव आया कि लोक कल्याण और दुनिया की विभिन्न समस्याओं के निराकरण के लिए कुंभ में विचार कुंभ होना चाहिए। सबसे बड़ी समस्या क्या है जीवन जीने की, इसका हल यह विचार महाकुंभ पूरे विश्व को देगा। उदघाटन सत्र के बाद समानांतर सत्रों में स्वच्छता सरिता विषय पर चर्चा होगी। नदियों की स्वच्छता विषय पर मुनिश्री चिदानंद जी महाराज, जलसंसाधन मंत्री उमा भारती, दक्षिण अफ्रीका के विद्वान प्रोफेसर जाय ओ कीफे तथा जापान के विद्वान प्रोफेसर नाकामूरा विचार रखेंगे।स्वामी अवधेशानंद बोले..भारतीय समाज में बढ़ रहा उपभोक्तावाद और अंगप्रदर्शन चिंता का विषय है। हमें समाज को सकारात्मक दिशा देनी होगी। उन्होंने नदी औश्र पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य करने की जरूरत बताई। साथ ही कहा कि हमारे पास 5 लाख साधु-संत है। नदी बचाने और पौधे लगाने के लिए ये सब सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तत्पर हैं।संघ प्रमुख् बोले...भारत भूमि में सभी संप्रदायों को समेटने की ताकत और सामर्थ्य है। भारत माता हमारी जीवन दायिनी है। इसलिए भारत की विविधता को अलंकार के रूप में देखना चाहिए। विविधता का सम्मान किय जाना चाहिए। व्यवस्था शोषण मुक्त होनी चाहिए।
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