कानपुर। ब्रेन हैमरेज से शरीर का बायां हिस्सा बेकार होने का पूरी तरह इलाज 10 दिनों में संभव हो सकेगा। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के न्यूरोलॉजी विभाग में मस्तिष्क की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को दुरुस्त करने में डॉक्टरों को कामयाबी मिली है। कोमा में जाने से मरीज को बचा लिया गया। बेकार हुए हाथ-पैर और शरीर के दूसरे अंग काम करने लगे। ठहरी पलकेंफिर से झपकने लगीं। यह कमाल कुछ नई दवाओं के इस्तेमाल से संभव हुआ है। शोध में 45 से 65 आयु वर्ग के मरीजों को शामिल किया गया है।मस्तिष्क के बेसल गैंगलिया कैप्सूल पर 225 मरीजों में ‘स्ट्रोक’ का असर देखा गया है। शोध व इलाज करने वाले डॉक्टरों के मुताबिक अभी तक ब्रेन हैमरेज की जो प्रचालित दवाएं हैं वह क्षतिग्रस्त न्यूरॉन को कम समय में दुरुस्त करने में कारगर नहीं साबित हो रही हैं। उल्टे प्रचलित दवाओं से दिमाग के दूसरे हिस्से भी प्रभावित हो जाते हैं जिससे बीमारी कम होने की वजह बढ़ जाती है। मस्तिष्क के न्यूरॉन में संक्रमण की वजह से मरीजों को ठीक करना काफी दुश्वार हो जाता है। डॉक्टरों के मुताबिक प्रचालित दवा मैनीटॉल को एक नई दवा और कुछ अतिरिक्त विटामिन बी-2,बी-6 के साथ मरीजों को दिया गया है। साथ ही ब्लड प्रेशर 160/100 पर नियंत्रित रखने के लिए कुछ दूसरी दवाओं का सहारा लेना पड़ा। डॉक्टरों का यह शोध एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन कान्फ्रेंस आफ इंडिया की वार्षिक पत्रिका में शामिल किया गया है।24 घंटे के अंदर आए मरीजों को फायदाडॉक्टरों ने अपने शोध में उन्हीं मरीजों को शामिल किया है जिनको ब्रेन हेमरेज के 24 घंटे के अंदर अस्पताल आ गए। और ब्रेन हैमरेज का असर शरीर के बाएं हिस्से पर है। डॉक्टरों के मुताबिक ऐसे मरीजों को ठीक करने में आमतौर पर छह महीने का वक्त लग जाता था। 20 प्रतिशत मरीज कोमा में भी चले जाते हैं। पर नए प्रयोग से 10 दिनों में ही मरीजों के अंग काम करने लगे हैं।बेसल गैंगलिया कैप्सूल पर स्ट्रोक का असर बिल्कुल खत्म किया जा सकता है। कुछ नई दवाओं का कॉम्बीनेशन देना पड़ा है। कुछ पुरानी दवाओं के डोज बदले गए हैं। 225 मरीजों को भर्ती करके इलाज किया गया है। शोध-इलाज में ऐसे मरीज शामिल किए गए जो स्ट्रोक से पूरी तरह कोमा की हालत में नहीं पहुंचे थे। भर्ती करके इलाज किया गया है। इलाज में ब्लड प्रेशर और फिजियोथेरेपी की अहम भूमिका साबित हुई है। तीसरे दिन मरीजों को फिजियोथेरेपी दी जाने लगी। आमतौर पर 15 दिनों के बाद ही फिजियोथेरेपी शुरू की जाती है।-प्रो.नवनीत कुमार प्राचार्य एवं विभागाध्यक्ष न्यूरोलॉजी जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज
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