जुवेनाइल जस्टिस बिल राज्य सभा से पास

नई दिल्ली|लोकसभा में काफ़ी पहले पारित हो चुका जुवेनाइल जस्टिस बिल मंगलवार को आख़िरकार राज्यसभा में ध्वनिमत से पास हो गया.अब यह बिल राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. हालांकि बहस के दौरान सदन के बहुत से सदस्यों ने इसके ख़िलाफ़ भी अपना पक्ष पेश किया.सीपीएम ने बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग की थी. बाद में सदन से वाकआउट किया.बहस के दौरान तृणमूल कांग्रेस के सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने बिल का पक्ष लेते हुए कहा कि, "अगर निर्भया की जगह मेरी बेटी होती तो मैं उसे गोली मार देता. कहने का मतलब ये कि इस बिल के साथ लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं. इसलिए इसे कुछ संशोधनों के साथ पारित कर देना चाहिए."उन्होंने कहा कि यह एक 'अच्छा' बिल है.उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी के सांसद रविप्रकाश शर्मा ने इस बात पर विरोध किया कि ग़रीब तबक़े के बच्चों के लिए सख़्त क़ानून बनाया जा रहा है.उन्होंने कहा, "ये कहा जा रहा है कि संपन्न घरों के बच्चे अपराध नहीं करते ग़रीब घरों के बच्चे अपराध करते हैं. इस बात पर ध्यान नहीं दिया जा रहा कि वो बच्चे किन हालात में रहते हैं."जुवेनाइल बिल की 4 ख़ास बातें-राजनीतिक स्तर पर जिस बराबरी का सपना हमने देखा था सामाजिक स्तर पर हम उसे पूरा नहीं कर सके.ये बिल पारित करने से पहले हमें बाल सुधार गृहों की हालत पर ध्यान देना चाहिए. हमारे यहां पर्याप्त बालसुधार गृह हैं भी नहीं.रविप्रकाश शर्मा ने इस बिल का विरोध करते हुए कहा कि, ''मीडिया इस तरह की मार्केटिंग कर रहा है कि अगर क़ानून सख़्त हो जाएगा तो निर्भया को इंसाफ़ मिल जाएगा. ये सच नहीं है.''जदयू, बिहार से सांसद कहकशां परवीन ने भी बिल के विरोध में अपने विचार रखते हुए कहा कि बच्चे अगर अपराधी बन रहे हैं तो इसके पीछे अशिक्षा, ग़रीबी और बेरोज़गारी है.उनके अनुसार इस बिल को लाने का मक़सद सज़ा की उम्र 18 से 16 वर्ष करना नहीं बल्कि ऐसे बच्चों में कारगर सुधार लाना होना चाहिए.राज्यसभा सदस्य अनु आग़ा ने बिल के विरोध में कहा कि अगर कोई नाबालिग़ अपराध करता है तो वो हमारी ज़िम्मेदारी है.उनका कहना था, ''जस्टिस वर्मा जैसे सम्मानीय लोगों ने जब इस बिल का पक्ष नहीं लिया तो ज़ाहिर है कि इसमें कुछ ख़ामियां हैं. बाल सुधारगृहों की दशा सुधारने पर बहस होनी चाहिए.''बीएसपी नेता सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि ये साफ़ होना चाहिए कि ये बिल पूर्वप्रभावी नहीं है. यानी अगर ये बिल पारित भी हो जाता है तो इसके तहत निर्भया केस के अपराधी किशोर को सज़ा नहीं दी जा सकती.

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