शिप्रा रहे स्वच्छ-देवास के नालों का किया निरीक्षण

उज्जैन|सिंहस्थ-2016 के दौरान विभिन्न तिथियों में सामान्य स्नान व शाही स्नान होना है। इसके लिये यह जरूरी है कि शिप्रा नदी में देवास से मिल रहे नागधमन नाले में किसी तरह के कोई कैमिकल न हो। ज्ञात हो कि देवास औद्योगिक क्षेत्र के मुख्य नाले नागधमन में ही समस्त कारखानों का पानी आकर मिलता है। पूर्व में कारखानों से निकलने वाले वेस्ट मटेरियल पर नजर रखने के लिये प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जिम्मा सौंपा गया था। नागधमन नाले में किसी तरह के कैमिकल की पहुंच है इसके लिये उज्जैन कलेक्टर श्री कवीन्द्र कियावत और देवास कलेक्टर श्री आशुतोष अवस्थी ने शनिवार 12 दिसम्बर को नागधमन नाले व टाटा इण्डस्ट्रीज का निरीक्षण किया। कलेक्टर श्री आशुतोष अवस्थी ने श्री कियावत को आश्वस्त किया कि देवास की इण्डस्ट्रीज का कैमिकल वाला पानी हरगिज शिप्रा नदी में नहीं जाने दिया जायेगा। इस दौरान देवास नगर निगम आयुक्त श्री हिमांशु सिंह, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी श्री पी.के.त्रिवेदी उपस्थित रहे।टाटा इण्डस्ट्री में तीन स्तर पर होता है जलशोधन का काम- कलेक्टर श्री कवीन्द्र कियावत ने टाटा इण्डस्ट्रीज पहुंच कर उन स्थानों की जांच पड़ताल की, जहां से पानी का निकास किया जाता है। साथ ही इण्डस्ट्री में उपयोग होने वाले पानी के लिये बनाये गये जलशोधन संयंत्र का भी अवलोकन किया। टाटा इण्डस्ट्रीज में वेस्ट वाटर के उपयोग के लिये बनाये गये जलशोधन संयंत्र के द्वारा तीन स्तर पर जल का शोधन कर पुन: इण्डस्ट्री के काम में लाया जाता है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी श्री ए.के.केशेश्वर ने बताया कि 10 दिसम्बर को नाले के जल का सेम्पल लेकर जल में मौजूद तत्वों की जांच की गई थी। जांच में डिजाल्व ऑक्सीजन की दर 4.5 पाई गई। इससे पता चलता है कि देवास के मुख्य नाले में किसी तरह के कैमिकल मौजूद नहीं हैं। देवास के नाले में केवल बस्ती का पानी मौजूद है। कलेक्टर ने चौबीस घंटे-सातों दिन कारखानों से निकलने वाले जल की सीसीटीवी कैमरों के माध्यम निगरानी के निर्देश दिये, ताकि नाले में किसी वाहन के माध्यम से कारखाने का वेस्ट मटेरियल नहीं बहाया जाये।नागधमन नाला देवास से निकलने के बाद हवनखेड़ी में करीब सात किलो मीटर के बाद शिप्रा नदी में मिलता है। श्री कियावत ने कारखाने का निरीक्षण करने के उपरान्त नाले की गन्दगी और जल के बहाव का भी आंकलन करने के लिये नाले के छोर तक पहुंचे, परन्तु नाले का जल किसानों, ईंट-भट्टों के द्वारा उपयोग कर लेने के कारण हवनखेड़ी पहुंचने से पूर्व ही नाला सूखा दिखाई दिया।शिप्रा बैराज 3 मीटर और भरा जायेगा-शिप्रा नदी के शुद्धीकरण को लेकर कलेक्टर कवीन्द्र कियावत ने शनिवार को नागधमन नाले के निरीक्षण के बाद शिप्रा बैराज का भी निरीक्षण किया। शिप्रा बैराज पर मौजूद इंजीनियर ने बैराज संचालन की पूरी अवधारणा जानी। शिप्रा बैराज में जल स्तर आवश्यकता से कम होने पर कलेक्टर ने तीन मीटर और जल स्तर बढ़ाने के निर्देश दिये। तीन मीटर जल स्तर 15 से 20 दिनों में भर जाने की बात इंजीनियर द्वारा बताई गई।

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