राष्ट्रीय कालिदास सम्मानों की घोषणा

उज्जैन। रंगकर्म के क्षेत्र में मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा स्थापित राष्ट्रीय कालिदास सम्मानों की घोषणा की गयी है। इसके अन्तर्गत वर्ष 2013-14 का यह सम्मान विख्यात रंग निर्देशक नई दिल्ली के श्री मोहन महर्षि को 22 नवम्बर को तथा वर्ष 2014-15 का सम्मान नागपुर के नाट्य लेखक श्री महेश एलकंचवार को 23 नवम्बर को प्रदान किया जायेगा। इस सम्मान के अन्तर्गत दो लाख रुपए की राशि एवं प्रशस्ति पट्टिका प्रदान की जाती है। श्री महर्षि एवं श्री एलकुंचवार को उज्जैन में अखिल भारतीय कालिदास समारोह के अवसर पर इन सम्मानों से अलंकृत किया जायेगा।इस आशय का निर्णय पिछले दिनों इस सम्मान के लिए गठित चयन समिति ने सर्वसम्मत निर्णय लेकर किया। इस समिति में विख्यात रंगकर्मी श्री विनोद नागपाल, श्री भानु भारती, सुश्री हिमानी शिवपुरी तथा श्री पीयूष मिश्रा शामिल थे। निर्णायकों ने राष्ट्रीय रंग परिदृश्य में जीवनपर्यन्त सृजन, श्रेष्ठ प्रतिमानों तथा सतत सक्रियता के लिए इन नामों की अनुशंसा की। राज्य शासन चयन समिति की सर्वसम्मत अनुशंसा को अपने लिए बंधनकारी मानता है। अनुशंसा के आधार पर ही यह घोषणा की गयी।वर्ष 2013-14 के सम्मान से सम्मानित होने वाले विख्यात निर्देशक श्री मोहन महर्षि का जन्म 30 जनवरी 1940 को अजमेर में हुआ। उन्होंने 1964 में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में प्रवेश लिया और संस्थान के संस्थापक श्री इब्राहिम अल्काजी के साथ काम किया। उनके प्रमुख नाटकों में एवमं इंद्रजित, शुतुरमुर्ग, सुनो जनमेजय, अंधा युग, आषाढ़ का एक दिन, जोसेफ का मुकदमा, राजा की रसोई, दीवार में एक खिड़की रहती थी, ओथेलो, विद्योत्तमा आदि शामिल हैं। श्री महर्षि दूरदर्शन में प्रोड्यूसर रहे, माॅरीशस के प्रधानमंत्री के सांस्कृतिक सलाहकार रहे, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में निदेशक हुए, वाइस चेयरमेन होते हुए चेयरमेन का कार्यकारी दायित्व भी सम्हाला। आपको संगीत नाटक अकादमी सम्मान प्राप्त हुआ है। वर्ष 2014-15 के सम्मान से सम्मानित होने वाले सुप्रतिष्ठित नाट्य लेखक श्री महेश एलकुंचवार का जन्म 9 अक्टूबर 1939 में यवतमाल जिले के पारवा गाँव में हुआ। वे नागपुर विश्वविद्यालय में लम्बे समय प्राध्यापक रहे। उन्होंने इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विषयों के साथ विशेष दक्षता प्राप्त करके स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। श्री एलकुंचवार पुणे के फिल्म एण्ड टेलीविजन संस्थान में पटकथा लेखन के प्राध्यापक भी रहे और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में विजीटिंग प्रोफेसर भी। आपने लगभग बीस से अधिक मराठी नाटकों का लेखन किया जो पुस्तकाकार प्रकाशित हुए। उनके लिखे प्रमुख नाटकों में सुल्तान, हवेली, यातनाघर, पार्टी, प्रतिबिम्ब, आत्मकथा, धर्मपुत्र आदि शामिल हैं। आपको भी संगीत नाटक अकादमी सम्मान प्राप्त हुआ है।

No comments:

Post a Comment