बर्लिन। नोबेल विजेता और जर्मनी के प्रख्यात उपन्यासकार गुंटर ग्रास का सोमवार को निधन हो गया। वह 87 साल के थे। उन्हें खासतौर पर उनके पहले उपन्यास 'द टिन ड्रम' के लिए जाना जाता है। इस पर बनी फिल्म ने ऑस्कर पुरस्कार जीते थे। यहां मौजूद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्रास के निधन पर दुख जताया।उनके प्रकाशकों ने बताया कि ग्रास ने लुइबेक शहर के अस्पताल में अंतिम सांस लीं। उनका जन्म 1927 में दैनजिग (अब दान्स्क पोलैंड का शहर) में हुआ था। उनका ज्यादातर लेखन अपने गृहनगर की पृष्ठभूमि पर आधारित है। ग्रास ने मूर्तिकला, नाटककार, पत्रकार और एक जैज के तौर पर काम करने के अलावा कवि भी थे। ग्रास मात्र 17 वर्ष की उम्र में हिटलर यूथ (नाजी पार्टी का युवा संगठन) के रूप में द्वितीय विश्व युद्ध के गवाह बने। बाद में वह नाजी स्पेशल फोर्स यूनिट वाफेन-एसएस में शामिल हो गए थे। हालांकि उन्होंने इस बात को काफी समय तक छुपाए रखा था। 1945 में जब जर्मनी ने हथियार डाले तो उस समय वह एक अमेरिकी बंदी शिविर में कैदी थे।अपना पहला उपन्यास 'द टिन ड्रम' लिखा, जो 1959 में छपा। इसके छपते ही जर्मनी में हंगामा मच गया था। लेकिन बाद में उसे अंतरराष्ट्रीय सफलता मिली, कई भाषाओं में उसका अनुवाद हुआ और उस पर फिल्म भी बनी। उन्होंने उस दौर में दो अन्य उपन्यास 'कैट एंड माउस' (1961), और 'डॉग ईयर्स' (1963) लिखा। ये नाजी के उदय और युद्ध के अनुभवों की पृष्ठभूमि पर आधारित हैं। 2006 में उनकी किताब 'पीलिंग द अनियन' भी खूब मशहूर हुई थी।1999 में मिला साहित्य का नोबेल-ग्रास को 'द टिन ड्रम' के प्रकाशित होने के करीब चार दशक बाद 1999 में इस उपन्यास और उनकी उपलब्धियों के लिए साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला था।साहित्य का नोबेल जीतने वाले गुंटर ग्रास नहीं रहे
बर्लिन। नोबेल विजेता और जर्मनी के प्रख्यात उपन्यासकार गुंटर ग्रास का सोमवार को निधन हो गया। वह 87 साल के थे। उन्हें खासतौर पर उनके पहले उपन्यास 'द टिन ड्रम' के लिए जाना जाता है। इस पर बनी फिल्म ने ऑस्कर पुरस्कार जीते थे। यहां मौजूद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्रास के निधन पर दुख जताया।उनके प्रकाशकों ने बताया कि ग्रास ने लुइबेक शहर के अस्पताल में अंतिम सांस लीं। उनका जन्म 1927 में दैनजिग (अब दान्स्क पोलैंड का शहर) में हुआ था। उनका ज्यादातर लेखन अपने गृहनगर की पृष्ठभूमि पर आधारित है। ग्रास ने मूर्तिकला, नाटककार, पत्रकार और एक जैज के तौर पर काम करने के अलावा कवि भी थे। ग्रास मात्र 17 वर्ष की उम्र में हिटलर यूथ (नाजी पार्टी का युवा संगठन) के रूप में द्वितीय विश्व युद्ध के गवाह बने। बाद में वह नाजी स्पेशल फोर्स यूनिट वाफेन-एसएस में शामिल हो गए थे। हालांकि उन्होंने इस बात को काफी समय तक छुपाए रखा था। 1945 में जब जर्मनी ने हथियार डाले तो उस समय वह एक अमेरिकी बंदी शिविर में कैदी थे।अपना पहला उपन्यास 'द टिन ड्रम' लिखा, जो 1959 में छपा। इसके छपते ही जर्मनी में हंगामा मच गया था। लेकिन बाद में उसे अंतरराष्ट्रीय सफलता मिली, कई भाषाओं में उसका अनुवाद हुआ और उस पर फिल्म भी बनी। उन्होंने उस दौर में दो अन्य उपन्यास 'कैट एंड माउस' (1961), और 'डॉग ईयर्स' (1963) लिखा। ये नाजी के उदय और युद्ध के अनुभवों की पृष्ठभूमि पर आधारित हैं। 2006 में उनकी किताब 'पीलिंग द अनियन' भी खूब मशहूर हुई थी।1999 में मिला साहित्य का नोबेल-ग्रास को 'द टिन ड्रम' के प्रकाशित होने के करीब चार दशक बाद 1999 में इस उपन्यास और उनकी उपलब्धियों के लिए साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला था।
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