ढाई हजार से अधिक हेक्टेयर में ली जा रही है सन्तरे की फसल

 उज्जैन। संभागायुक्त डॉ.रवीन्द्र पस्तोर की पहल पर किसान उद्यानिकी फसलों की ओर बड़ी तेजी से आकर्षित हो रहे हैं। इन फसलों में भी सन्तरे का रकबा तेजी से बढ़ता जा रहा है। संभाग में उत्पादित किये जा रहे सन्तरे की 'मालवा फ्रेश' नाम से ब्राण्ंडिग भी शुरू की गई है। उज्जैन जिले के तराना क्षेत्र में पैदा हो रहे सन्तरे ने अपनी मिठास से अपनी एक अलग पहचान बनाई है। क्षेत्र के किसानों द्वारा उत्पादित किये जा रहे सन्तरे को व्यापारी फसल पकने से पूर्व ही बुक कर रहे हैं। संभागायुक्त और कलेक्टर जब गत दिवस ग्राम खुटपड़ा में सन्तरा उत्पादक किसानों से मिले तो उन्हें बताया गया कि व्यापारियों में अन्य क्षेत्रों की तुलना में इस क्षेत्र के सन्तरे की मांग अधिक है। तराना क्षेत्र में अभी 2650 हेक्टेयर क्षेत्र में किसानों द्वारा सन्तरे की बोवनी अपने खेतों में की गई है। यहां का सन्तरा अन्य क्षेत्रों की तुलना में अच्छी मिठास लिये हुए है।संयुक्त संचालक उद्यानिकी एम.एल.हिरवानी ने बताया कि सन्तरे की खेती को प्रोत्साहित करने के लिये शासन द्वारा उद्यानिकी मिशन के तहत किसानों को प्रति हेक्टेयर 26 हजार रूपये अनुदान दिया जाता है, जो तीन वर्षों में देय होता है। प्रथम किश्त में 15 हजार 900 रूपये किसान को दिये जाते हैं। इसके बाद पाँच-पाँच हजार रूपये की दो किश्तें 90 प्रतिशत पौधे जीवित रहने की दशा में दी जाती है। उद्यानिकी विभाग के तराना उद्यान अधीक्षक सुनील राठौर ने बताया कि तराना क्षेत्र के लगभग 25 गांवों के करीब डेढ़ हजार किसान सन्तरे की खेती कर रहे हैं। क्षेत्र के खुटपड़ा, गुन्दड़ल्या नान्देड़, परसोली, ढाबलाहर्दू, रूपाखेड़ी, लालाखेड़ी, कतवाड़िया सहित लगभग 25 गांवों में सन्तरे के बगीचे लहलहा रहे हैं।लाखों में होती है आय-सन्तरे की फसल किसानों की आर्थिक समृध्दि का माध्यम बन रही है। क्षेत्र के किसान प्रतिवर्ष लाखों रूपये आय सन्तरे से प्राप्त कर रहे हैं। खुटपड़ा के किसान रज्जाक खान द्वारा दो हेक्टेयर में बोई गई फसल 11 लाख रूपये में बेची गई है। इसके साथ ही उन्होंने पौधों के बीच की बची हुई भूमि में 25 क्विंटल सोयाबीन भी प्राप्त किया। अभी सेन्टर क्रॉप के रूप में चने की फसल लगा रखी है। इसी गांव के आत्माराम खिची, जो सन्तरे की खेती के प्रेरक किसान भी हैं, उनके द्वारा गत वर्ष दो हेक्टेयर में सन्तरा बोया जाकर 10 लाख रूपये की आय प्राप्त की गई है। तराना क्षेत्र में 2008 के पूर्व 40 से 50 हेक्टेयर में ही सन्तरा लिया जा रहा था। इसके पश्चात् शासन के प्रोत्साहन और उद्यानिकी मिशन से किसान सन्तरे की खेती में आगे बढ़े। अब लगभग ढाई हजार से अधिक हेक्टेयर भूमि में सन्तरे की फसल ली जा रही है।

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