वाशिंगटन। अंतरिक्ष में जीवन की संभावना खोजने में लगे खगोलविदों ने आठ ऐसे ग्रहों का पता लगाया है, जो धरती के आकार-प्रकार का है और जिन्हें रहने लायक माना जा रहा है। इनमें से दो ग्रहों की पृथ्वी से बहुत अधिक समानता पाई गई है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि ये आठों ग्रह अपने तारों की उतनी ही दूरी से परिक्रमा कर रहे हैं, जिससे इनकी सतहों पर पानी की संभावना हो सकती है। खगोल वैज्ञानिक इन ग्रहों पर धरती जैसे चट्टान पाए जाने की भी संभावना जता रहे हैं।हार्वर्ड-स्मिथसोनियन खगोल भौतिकी केंद्र में शोधपत्र के प्रमुख लेखक गिलेरमो टॉरेस ने कहा कि जिन दो ग्रहों की धरती से अत्यधिक समानता पाई गई है, उनके नाम केपलर-438बी और केपलर-442बी हैं। ये दोनों ग्रह लाल बौने तारों की परिक्रमा कर रहे हैं, जो हमारे सूर्य से छोटे और अपेक्षाकृत ठंडे हैं।इन ग्रहों का पता नासा की केपलर अंतरिक्ष दूरबीन ने लगाया है। इसके साथ ही केपलर द्वारा खोजे गए ग्रहों की संख्या एक हजार से अधिक हो गई है। उल्लेखनीय है कि केपलर दूरबीन हमारे सौरमंडल से बाहर डेढ़ लाख से अधिक तारों की लगातार निगरानी करती रहती है। शोधपत्र के दूसरे लेखक डेविड किपिंग ने कहा कि हम पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं कि ये ग्रह सच में रहने लायक हैं या नहीं। फिलहाल हम सिर्फ इतना कह सकते हैं ये भविष्य के लिए हमारी आशाओं के केंद्र हैं।खगोलविदों ने रहने लायक ग्रहों को खोजा
वाशिंगटन। अंतरिक्ष में जीवन की संभावना खोजने में लगे खगोलविदों ने आठ ऐसे ग्रहों का पता लगाया है, जो धरती के आकार-प्रकार का है और जिन्हें रहने लायक माना जा रहा है। इनमें से दो ग्रहों की पृथ्वी से बहुत अधिक समानता पाई गई है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि ये आठों ग्रह अपने तारों की उतनी ही दूरी से परिक्रमा कर रहे हैं, जिससे इनकी सतहों पर पानी की संभावना हो सकती है। खगोल वैज्ञानिक इन ग्रहों पर धरती जैसे चट्टान पाए जाने की भी संभावना जता रहे हैं।हार्वर्ड-स्मिथसोनियन खगोल भौतिकी केंद्र में शोधपत्र के प्रमुख लेखक गिलेरमो टॉरेस ने कहा कि जिन दो ग्रहों की धरती से अत्यधिक समानता पाई गई है, उनके नाम केपलर-438बी और केपलर-442बी हैं। ये दोनों ग्रह लाल बौने तारों की परिक्रमा कर रहे हैं, जो हमारे सूर्य से छोटे और अपेक्षाकृत ठंडे हैं।इन ग्रहों का पता नासा की केपलर अंतरिक्ष दूरबीन ने लगाया है। इसके साथ ही केपलर द्वारा खोजे गए ग्रहों की संख्या एक हजार से अधिक हो गई है। उल्लेखनीय है कि केपलर दूरबीन हमारे सौरमंडल से बाहर डेढ़ लाख से अधिक तारों की लगातार निगरानी करती रहती है। शोधपत्र के दूसरे लेखक डेविड किपिंग ने कहा कि हम पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं कि ये ग्रह सच में रहने लायक हैं या नहीं। फिलहाल हम सिर्फ इतना कह सकते हैं ये भविष्य के लिए हमारी आशाओं के केंद्र हैं।
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जरा हटके
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Washington, DC, USA
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