रोम। रोमन कैथोलिकों के 266वें धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने ननों हद से ज्यादा आध्यात्मिक न होने और जिंदगी में खुश रहने की सलाह दी है। उन्होंने कहा, 'मैं उन ननों से मिलकर बहुत निराश होता हूं, जिनकी जिंदगी में कोई उत्साह ही नहीं है। वे विमान में मौजूद किसी एयर होस्टेस की तरह जबरदस्ती मुस्कुराती हैं। यह खुशी उनके भीतर की खुशी नहीं है।' इतालवी शहर असीसी स्थित सांता चियारा क्लाइस्टर्ड कान्वेंट में पोप ने ननों को संबोधित करते हुए कहा, ननों को हद से ज्यादा आध्यात्मिक नहीं होना चाहिए बल्कि मानवता के क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करनी चाहिए। ननों की मर्यादित जिंदगी यातना नहीं है, जिसे जबरदस्ती स्वीकार किया जाए।' उन्होंने ननों से परिवार के सदस्यों की तरह प्रेमपूर्वक रहने का आग्रह किया। ननों को एक दूसरे को माफ करने और एक दूसरे की आदतों को सहन करना सीखना होगा क्योंकि शैतान हमें रिश्तों के बीच दीवार खींचने के लिए हमेशा तैयार रहता है। हमें खुद पर अभिमान नहीं होना चाहिए। पोप फ्रांसिस अंब्रियान हिलसाइड टाउन में 13वीं शताब्दी के संत के स्मारक पर प्रार्थना के लिए पहुंचे थे। उन्होंने गरीब, बीमार व विकलांग लोगों से मुलाकात की, जिन्हें कैथोलिक समुदाय द्वारा चलाए जा रहे धमार्थ संस्थानों से मदद हासिल होती है।

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