नई दिल्ली। संत आसाराम आज तक जेल नहीं गए। उन्हें इस बात का गुमान भी है। तमाम आरोपों के बावजूद उनका कुछ नहीं बिगड़ा। अहमदाबाद में उनके आश्रम में दो बच्चों की मौत के मामले पर गठित कमीशन को ही उनका बयान लेने में चार साल लग गए। तो क्या उनके खिलाफ दर्ज रेप के केस का भी हश्र यही होगा। आरोप संगीन हैं। एक नाबालिग लड़की ने बलात्कार के आरोप लगाए हैं। आसाराम पर दिल्ली पुलिस ने जो एफआईआर दर्ज की है, उसमें धाराएं भी गंभीर लगी हैं। ये धाराएं गैरजमानती हैं।पुलिस ने आसाराम पर धारा 376 यानि यौन उत्पीड़न, धारा 342 यानि जबरन बंधक बनाकर रखना, धारा 506 यानि जान से मारने की धमकी देना और पॉस्को यानि प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन अगेंस्ट सेक्सुअल ऑफेंस के तहत मामला दर्ज किया है। सवाल ये है कि आखिर पुलिस आसाराम की गिरफ्तारी क्यों नहीं कर रही है।पुलिस सूत्रों की मानें तो उसके पास ये बहाना है कि आसाराम की गिरफ्तारी के बाद कानून-व्यवस्था का सवाल खड़ा हो सकता है। उसे आसाराम के समर्थकों के बवाल का डर है। लेकिन कानून इस डर से बड़ा है। दिल्ली में 16 दिसंबर को हुई गैंगरेप की घटना के बाद पॉस्को कानून बनाया गया था। इस एक्ट के अंतर्गत ये नियम है कि पीड़ित के बयान के बाद आरोपी की फौरन गिरफ्तारी होती है और उसके बाद ये आरोपी की जिम्मेदारी होती है कि वो साबित करे कि वो बेगुनाह है। लेकिन आसाराम के मामले में अब तक ऐसा नहीं हुआ है यानि इस एक्ट की ताकत को पुलिस पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं कर रही है।पुलिस का ये तर्क है कि वो इस मामले में आसाराम के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने से पहले ठोस सबूत इकट्ठा करना चाहती है। लेकिन सबूत के तौर पर फार्म हाउस के मालिक का बयान है। वो परिस्थितियां हैं जिनकी बातें नाबालिग लड़की कर रही है। लेकिन पुलिस को ये सबूत नाकाफी लग रहे हैं। पुलिस के पास लड़की की मेडिकल रिपोर्ट भी है, जिसमें बलात्कार की पुष्टि हुई है। वैसे इस मेडिकल रिपोर्ट पर आसाराम का आश्रम भ्रम फैलाने में जुटा हुआ है। उनके आश्रम का कहना है कि मेडिकल रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई है।आसाराम आश्रम का कहना है कि सिर्फ दिल्ली प्रदेश में ही ऐसा कानून है कि कोई भी लड़की शिकायत दर्ज कराए तो पहले उसकी एफआईआर दर्ज करें और बाद में जांच की जाए। इसी का फायदा उठाकर दिल्ली के कमला मार्केट में एफआईआर दर्ज की गई। मेडिकल जांच रिपोर्ट में भी दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई है। इन सभी तथ्यों के आधार पर ये आरोप सिर्फ बापू को बदनाम करने की सोची-समझी साजिश है।जोधपुर पुलिस के पास लड़की की मेडिकल रिपोर्ट, मजिस्ट्रेट के सामने दिया गया बयान, एफआईआर की कॉपी समेत सभी रिकॉर्ड दिल्ली पुलिस से आ चुके हैं। पीड़ित लड़की और उसके माता-पिता भी जोधपुर पहुंच चुके हैं। आसाराम आश्रम भ्रम फैलाने वाले बयान दे रहा है। इन सब के बीच सवाल ये है कि आखिर कानून अपना काम कब करेगा? अगर आसाराम की जगह कोई आम आदमी होता तब भी क्या पुलिस यूं ही इंतजार करती?

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