भगवान राम की नगरी अयोध्या एक बार फिर से सियासत का कुरुक्षेत्र बनने की ओर अग्रसर है। सियासी गर्मी का जिक्र यहां सवालों से ही शुरू करते हैं। क्या अयोध्या की 84 कोस की परिक्रमा से ही आगामी आम चुनाव यानी लोकसभा चुनाव 2014 को नापने की तैयारी की जा रही है। हालांकि यह मुद्दा तो पुराना है, मगर अब इसे दूसरे सिरे से फिर सुलगाने की कोशिशें की जा रही है। हो सकता है कि इसके पीछे सियासत का राजनीतिक ध्रुवीकरण करने का मकसद छिपा हो, मगर मसला खासा विवाद का रूप ले चुका है। चूंकि जिस राज्य की सीमा में इस यात्रा को अंजाम दिया जाना है, वहां की सरकार इसके खिलाफ है।अयोध्या परिक्रमा: सियासत का कुरुक्षेत्र
भगवान राम की नगरी अयोध्या एक बार फिर से सियासत का कुरुक्षेत्र बनने की ओर अग्रसर है। सियासी गर्मी का जिक्र यहां सवालों से ही शुरू करते हैं। क्या अयोध्या की 84 कोस की परिक्रमा से ही आगामी आम चुनाव यानी लोकसभा चुनाव 2014 को नापने की तैयारी की जा रही है। हालांकि यह मुद्दा तो पुराना है, मगर अब इसे दूसरे सिरे से फिर सुलगाने की कोशिशें की जा रही है। हो सकता है कि इसके पीछे सियासत का राजनीतिक ध्रुवीकरण करने का मकसद छिपा हो, मगर मसला खासा विवाद का रूप ले चुका है। चूंकि जिस राज्य की सीमा में इस यात्रा को अंजाम दिया जाना है, वहां की सरकार इसके खिलाफ है।
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