सीबीआइ को 'मुक्ति' दिलाने के लिए सरकार ने पेश किया यह फार्मूला

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सीबीआइ की स्वायत्तता पर हलफनामा दिया। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे में कहा है कि सीबीआइ निदेशक का चुनाव तीन सदस्यीय कमेटी द्वारा किया जाएगा। इस कमेटी में प्रधानमंत्री, देश के मुख्य न्यायाधीश समेत नेता विपक्ष शामिल होगा।41 पेज के अपने हलफनामें में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि सीबीआइ निदेशक की नियुक्ति एवं हटाने के लिए विशेष प्रक्रिया अपनाई जाएगी और सीबीआई निदेशक का कार्यकाल दो वर्ष से अधिक नहीं होगा। सरकार ने कहा है कि सीबीआइ निदेशक का चुनाव तीन सदस्यीय कमेटी द्वारा किया जाएगा और इस कमेटी में प्रधानमंत्री, देश के मुख्य न्यायाधीश समेत नेता विपक्ष शामिल होंगे। इसके साथ ही सीबीआइ निदेशक को हटाने का हक भी केवल राष्ट्रपति को होगा।इतना ही नहीं कैबिनेट की ओर से पहली बार सीबीआइ के खिलाफ किसी भी तरह के शिकायत को सुनने के लिए एक जवाबदेही आयोग का गठन करने का प्रस्ताव भी पेश किया गया है। जिसको तीन सेवानिवृत जजों की अध्यक्षता में संचालित किया जाएगा और इनकी नियुक्ति तीन वर्ष के निश्चित अवधि के लिए किया जाएगा। अधिकारियों के दु‌र्व्यवहार, अक्षमता, अनुपयुक्तता एवं अनियमितता की जांच करने के लिए इनको व्यापक शक्तियां प्रदान किये जाने का प्रावधान किया गया हैं।अब तक ज्वाइंट सेक्रेटरी एवं इससे उपर के अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की जांच के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से अनुमति लेने होती है जिसमें बदलाव किया गया हैं। ऐसे मामलों पर कार्रवाई के लिए अब गृहमंत्रालय को तीन महिने के भीतर अनुमति देने की समयसीमा तय की गई हैं।इसके साथ ही सीबीआइ निदेशक को प्रोसेक्यूसन की नियुक्ति एवं निगरानी का अधिकार दिया गया है। अब वकालत पेशे में पंद्रह वर्ष का अनुभव रखने वाले वकील इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। अब तक इस प्रक्रिया पर कानून मंत्रालय का नियंत्रण रहा हैं।गौरतलब है कि कोयला घोटाले की जांच की प्रगति रिपोर्ट में तत्कालीन कानून मंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय व कोयला मंत्रालय के अधिकारियों के हस्तक्षेप को गंभीरता से लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसी की स्वायत्तता पर सवाल उठाया था।

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