गुजरात के बाद गोवा में गूंजेगा 'नमो' का मोदी मंत्र

नई दिल्ली, गुजरात उपचुनाव में धमाकेदार जीत के बाद अब मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की केंद्रीय भूमिका तय करने के लिए पार्टी पर दबाव बढ़ने लगा है। खुद मोदी ने केंद्र की कांग्रेस सरकार को आगाह किया और भाजपा की सरकार बनने का दावा किया।वहीं, बुधवार को दिनभर चलते रहे मेल-मुलाकात ने इसे हवा दे दी है कि शनिवार से गोवा में शुरू होने वाली भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी में मोदी को चुनाव अभियान समिति की कमान सौंपी जा सकती है। दिल्ली में मोदी ने पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह और लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात की। वहीं, उन्होंने लैटिन अमेरिकी 20 देशों के राजदूतों के साथ भी बैठक की।बुधवार को आए उपचुनाव नतीजों ने मोदी के लिए दिल्ली की राह थोड़ी और आसान कर दी है। मोदी ने दो लोकसभा और चार विधानसभा सीटें कांग्रेस से छीन ली हैं। मोदी ने इसका हवाला देते हुए लोकसभा चुनाव का बिगुल फूंक दिया। उन्होंने कहा कि चुनावी नतीजा कांग्रेस के लिए संकेत है कि अब उसके जाने का समय आ गया है।राजनाथ के अलावा आडवाणी ने फोन कर मोदी को जीत की बधाई दी। इसके बाद मोदी ने आडवाणी के घर जाकर मुलाकात की। माना जा रहा है कि मुलाकात के दौरान गोवा कार्यकारिणी के साथ ही लोकसभा चुनाव की रणनीति पर भी चर्चा हुई। मोदी को चुनाव अभियान समिति की कमान सौंपने का फैसला बहुत पहले किया जा चुका था, लेकिन पार्टी के कुछ शीर्ष नेताओं के विरोध के कारण घोषणा अब तक अटकी थी।वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी सरीखे कुछ नेता अभियान समिति के साथ-साथ प्रबंधन समिति का भी गठन चाहते थे। इसके लिए पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी का नाम बढ़ाया जा रहा था। यह और बात है कि खुद गडकरी ने ऐसी किसी समिति की अध्यक्षता से अपना नाम खींच लिया है।दूसरी तरफ, बिहार के महाराजगंज लोकसभा उपचुनाव में आए नतीजों के बाद मोदी समर्थक नीतीश पर आक्रामक होने लगे हैं। सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री उम्मीदवारी पर भी चर्चा चल रही है, लेकिन उसकी घोषणा में देर हो सकती है। आडवाणी की प्रस्तावित प्रबंधन समिति पर अभी एक राय नहीं बन पाई है।पिछले 11 वर्षों में गुजरात के विकास की कहानी मोदी ने जिस तरह से गढ़ी है, उससे देशभर में एक संदेश गया है कि वह तरक्की पसंद नेता हैं और इसके लिए वह जी-जान लगाकर काम करते हैं। लगातार तीसरी बार सत्ता प्राप्त करने वाले मोदी को भी इस बात का एहसास है। उन्होंने अपनी राजनीति को पूरी तरह से विकास से जोड़ दिया और गुजरात की जनता ने इसे हाथोंहाथ लिया।आज देश में 60 फीसद से ज्यादा आबादी युवाओं की है। वह देश का नेतृत्व एक तेजतर्रार और चुस्त प्रशासक के हाथों में देना चाहते हैं। वह देश में आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक व कानूनी बदलाव चाहते हैं। युवा चाहते हैं कि उन्हें उनकी मनोदशा को समझने वाला नेता मिले। उनका नेता राजनेता की तरह नहीं बल्कि प्रबंधक की तरह काम करे। मोदी में युवाओं को ये सारी खूबियां नजर आती हैं। सोशल मीडिया में मोदी को पीएम बनाने को लेकर चल रहे अभियान इस बात की तस्दीक करते हैं।भाजपा में युवा कार्यकर्ताओं की बड़ी फौज है। मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने से उनमें जोश का संचार होगा और वह दोगुनी ताकत से चुनावी मैदान में उतरेंगे। गुजरात में मोदी की कार्यशैली युवा कार्यकर्ताओं को खूब भा रही है।

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