नई दिल्ली/वाशिंगटन. अमेरिका ने आतंकी खतरे के नाम पर प्रिज्म जासूसी कार्यक्रम के जरिए भारतीयों के कंप्यूटरों से करीब 6.3 अरब सूचनाएं चुराई हैं। भारत ने इस पर अमेरिका से सफाई मांगी है। मीडिया रिपोर्टो के अनुसार भारत पांचवां देश है जहां से सबसे ज्यादा निजी आंकड़े और दस्तावेज हैक कर खंगाले गए। सूत्रों ने बताया कि नई दिल्ली में अमेरिकी राजदूत से विस्तृत जानकारी मांगी गई है। सरकार और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने अपने स्तर पर यह मामला अमेरिकी सरकार के सामने उठाया है। उनके जवाब की प्रतीक्षा है। अमेरिका से स्पष्टीकरण मिलने के बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। सरकार पहले ही कह चुकी है कि अगर इसमें किसी भारतीय कानून का उल्लंघन हुआ होगा तो कतई बर्दाश्त नहीं होगा। मामला 24 जून को दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में भी उठाया जाएगा। जासूसी ने नाकाम की आतंकी साजिश : एनएसए चीफ :-वॉशिंगटन में अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के निदेशक कीथ अलेक्सान्द्र ने कहा कि प्रिज्म कार्यक्रम से ही बीसियों आतंकी वारदातों को रोकने में मदद मिली। वे अमेरिकी सीनेट में बुधवार को इस मुद्दे पर सुनवाई के दौरान सफाई दे रहे थे। उन्होंने बताया कि प्रिज्म के तहत एनएसए ने अमेरिकी दूरसंचार उपभोक्ताओं द्वारा मिलाए जाने वाले ‘नो’ नंबरों आदि की जानकारी में सेंध लगाई। उन्हें फेसबुक, गूगल, जैसी बड़ी इंटरनेट कंपनियों के उपभोक्ताओं की पल-पल की गतिविधियों की भी खबर रहती थी। हेडली को भी इसी तकनीक से पकड़ा :-जनरल कीथ ने कहा, मुंबई आतंकी हमले के दोषी डेविड हेडली को भी इसी तकनीक से पकड़ा गया था। दूसरी ओर, एक खोजी प्रकाशन प्रोपब्लिका ने दावा किया कि हेडली को पकड़ने में यह तकनीक काम नहीं आई। बल्कि ब्रिटिश इंटेलिजेंस द्वारा उपलब्ध करवाई जानकारी के आधार पर उसे पकड़ा गया था। स्नोडन के खुलासे से हांगकांग में खतरे की घंटी :-सीआईए के पूर्व कर्मचारी एडवर्ड स्नोडन के इंटरनेट जासूसी के उजागर होने से हांगकांग में भी खतरे की घंटी बज गई है। स्नोडन ने बताया है कि अमेरिकी एनएसए ने हांगकांग के प्रमुख इंटरनेट सर्वर पर भी सेंध लगाई थी। इस सर्वर पर चीन का ज्यादातर घरेलू इंटरनेट ट्रैफिक रहता है। साउथ चाइना पोस्ट में गुरुवार को प्रकाशित इंटरव्यू में स्नोडन ने कहा, एनएसए हांगकांग और चीन की मुख्य भूमि के कंप्यूटरों में 2009 से सेंध लगा रहा है। इनमें हांगकांग की चाइनी यूनिवर्सिटी और हांगकांग इंटरनेट एक्सचेंज भी शामिल हैं। तीसरे बड़े व्हिसिल ब्लोअर:-स्नोडन अमेरिका के तीसरे बड़े व्हिसिल ब्लोअर हो गए हैं। इनसे पहले वर्ष 1971 में डेनियल एल्सबर्ग ने पेंटागन पेपर्स की गड़बड़ी उजागर की थी। ब्रेडली मैनिंग ने विकीलीक्स तक इराक व अफगानिस्तान युद्ध से जुड़े गोपनीय दस्तावेज पहुंचाए थे।
इंटरनेट जासूसी पर अमेरिका से भारत ने मांगी सफाई
नई दिल्ली/वाशिंगटन. अमेरिका ने आतंकी खतरे के नाम पर प्रिज्म जासूसी कार्यक्रम के जरिए भारतीयों के कंप्यूटरों से करीब 6.3 अरब सूचनाएं चुराई हैं। भारत ने इस पर अमेरिका से सफाई मांगी है। मीडिया रिपोर्टो के अनुसार भारत पांचवां देश है जहां से सबसे ज्यादा निजी आंकड़े और दस्तावेज हैक कर खंगाले गए। सूत्रों ने बताया कि नई दिल्ली में अमेरिकी राजदूत से विस्तृत जानकारी मांगी गई है। सरकार और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने अपने स्तर पर यह मामला अमेरिकी सरकार के सामने उठाया है। उनके जवाब की प्रतीक्षा है। अमेरिका से स्पष्टीकरण मिलने के बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। सरकार पहले ही कह चुकी है कि अगर इसमें किसी भारतीय कानून का उल्लंघन हुआ होगा तो कतई बर्दाश्त नहीं होगा। मामला 24 जून को दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में भी उठाया जाएगा। जासूसी ने नाकाम की आतंकी साजिश : एनएसए चीफ :-वॉशिंगटन में अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के निदेशक कीथ अलेक्सान्द्र ने कहा कि प्रिज्म कार्यक्रम से ही बीसियों आतंकी वारदातों को रोकने में मदद मिली। वे अमेरिकी सीनेट में बुधवार को इस मुद्दे पर सुनवाई के दौरान सफाई दे रहे थे। उन्होंने बताया कि प्रिज्म के तहत एनएसए ने अमेरिकी दूरसंचार उपभोक्ताओं द्वारा मिलाए जाने वाले ‘नो’ नंबरों आदि की जानकारी में सेंध लगाई। उन्हें फेसबुक, गूगल, जैसी बड़ी इंटरनेट कंपनियों के उपभोक्ताओं की पल-पल की गतिविधियों की भी खबर रहती थी। हेडली को भी इसी तकनीक से पकड़ा :-जनरल कीथ ने कहा, मुंबई आतंकी हमले के दोषी डेविड हेडली को भी इसी तकनीक से पकड़ा गया था। दूसरी ओर, एक खोजी प्रकाशन प्रोपब्लिका ने दावा किया कि हेडली को पकड़ने में यह तकनीक काम नहीं आई। बल्कि ब्रिटिश इंटेलिजेंस द्वारा उपलब्ध करवाई जानकारी के आधार पर उसे पकड़ा गया था। स्नोडन के खुलासे से हांगकांग में खतरे की घंटी :-सीआईए के पूर्व कर्मचारी एडवर्ड स्नोडन के इंटरनेट जासूसी के उजागर होने से हांगकांग में भी खतरे की घंटी बज गई है। स्नोडन ने बताया है कि अमेरिकी एनएसए ने हांगकांग के प्रमुख इंटरनेट सर्वर पर भी सेंध लगाई थी। इस सर्वर पर चीन का ज्यादातर घरेलू इंटरनेट ट्रैफिक रहता है। साउथ चाइना पोस्ट में गुरुवार को प्रकाशित इंटरव्यू में स्नोडन ने कहा, एनएसए हांगकांग और चीन की मुख्य भूमि के कंप्यूटरों में 2009 से सेंध लगा रहा है। इनमें हांगकांग की चाइनी यूनिवर्सिटी और हांगकांग इंटरनेट एक्सचेंज भी शामिल हैं। तीसरे बड़े व्हिसिल ब्लोअर:-स्नोडन अमेरिका के तीसरे बड़े व्हिसिल ब्लोअर हो गए हैं। इनसे पहले वर्ष 1971 में डेनियल एल्सबर्ग ने पेंटागन पेपर्स की गड़बड़ी उजागर की थी। ब्रेडली मैनिंग ने विकीलीक्स तक इराक व अफगानिस्तान युद्ध से जुड़े गोपनीय दस्तावेज पहुंचाए थे।
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