नई दिल्ली : बलात्कार विरोधी विधेयक (एंटी रेप बिल) पर मंगलवार को भी कैबिनेट की विशेष बैठक में मुहर नहीं लग पाई। एंटी रेप बिल आज भी नामंजूर होने के बाद इसे ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (जीओएम) को भेजा जाएगा। कैबिनेट बैठक में इस बिल के कई मुद्दों पर मतभेद दिखे। जानकारी के अनुसार, बैठक में एंटी स्टॉकिंग, वॉयरिज्म मुद्दे पर भी मतभेद सामने आए। वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स का अध्यक्ष बनाया गया है। महिलाओं पर अपराधों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान करने वाले एक महत्वपूर्ण विधेयक को मंगलवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में मतभेदों के चलते मंत्री समूह को भेज दिया। प्रस्तावित मंत्री समूह में वित्त मंत्री पी चिदम्बरम, महिला और बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ, विधि मंत्री अश्विनी कुमार, गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे तथा संचार एवं आईटी मंत्री कपिल सिब्बल के शामिल होने की संभावना है। विधेयक पारित होना चाहिए, इस बारे में कैबिनेट में आम राय थी लेकिन कुछ मुददे अनसुलझे रहे। विधेयक में प्रस्ताव किया गया है कि आपसी सहमति से यौन संबंध बनाए जाने की उम्र को 18 साल से घटाकर 16 साल किया जाए। इस मुद्दे पर विभिन्न मंत्रालयों के बीच लंबी चर्चा हो चुकी है और कुछ का तर्क है कि इसे कम नहीं किया जाना चाहिए। महिला और बाल विकास मंत्रालय ने इस कदम का विरोध किया है। सहमति की उम्र से नीचे यौन संबंधों को सांविधिक रूप से बलात्कार माना जाता है। सूत्रों ने बताया कि कुछ वरिष्ठ मंत्री कुछ मुद्दों पर सहमत नहीं हो सके जिनमें ‘बलात्कार’ शब्द भी था जो एक वर्ग विशेष को कहीं अधिक इंगित करता है। उनका कहना था कि इसके स्थान पर ‘यौन हमला’ शब्द रखा जाए तो लैंगिकता के मामले में तटस्थ भाव रहता है। इस बात पर भी मतभेद थे कि दर्शनरति और पीछा करने को किस प्रकार परिभाषित किया जाए जिन्हें विधेयक में आपराधिक कृत्य के रूप में शामिल किया गया है। अध्यादेश में पहली बार इन दो गतिविधियों को आपराधिक कृत्य के रूप में परिभाषित किया गया है। कुछ मंत्रियों ने फर्जी सबूतों और झूठी गवाही के खिलाफ पर्याप्त सुरक्षा उपाय नहीं किए जाने पर भी चिंता जताई। एंटी रेप बिल फिर लटका, कैबिनेट में मतभेद
नई दिल्ली : बलात्कार विरोधी विधेयक (एंटी रेप बिल) पर मंगलवार को भी कैबिनेट की विशेष बैठक में मुहर नहीं लग पाई। एंटी रेप बिल आज भी नामंजूर होने के बाद इसे ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (जीओएम) को भेजा जाएगा। कैबिनेट बैठक में इस बिल के कई मुद्दों पर मतभेद दिखे। जानकारी के अनुसार, बैठक में एंटी स्टॉकिंग, वॉयरिज्म मुद्दे पर भी मतभेद सामने आए। वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स का अध्यक्ष बनाया गया है। महिलाओं पर अपराधों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान करने वाले एक महत्वपूर्ण विधेयक को मंगलवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में मतभेदों के चलते मंत्री समूह को भेज दिया। प्रस्तावित मंत्री समूह में वित्त मंत्री पी चिदम्बरम, महिला और बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ, विधि मंत्री अश्विनी कुमार, गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे तथा संचार एवं आईटी मंत्री कपिल सिब्बल के शामिल होने की संभावना है। विधेयक पारित होना चाहिए, इस बारे में कैबिनेट में आम राय थी लेकिन कुछ मुददे अनसुलझे रहे। विधेयक में प्रस्ताव किया गया है कि आपसी सहमति से यौन संबंध बनाए जाने की उम्र को 18 साल से घटाकर 16 साल किया जाए। इस मुद्दे पर विभिन्न मंत्रालयों के बीच लंबी चर्चा हो चुकी है और कुछ का तर्क है कि इसे कम नहीं किया जाना चाहिए। महिला और बाल विकास मंत्रालय ने इस कदम का विरोध किया है। सहमति की उम्र से नीचे यौन संबंधों को सांविधिक रूप से बलात्कार माना जाता है। सूत्रों ने बताया कि कुछ वरिष्ठ मंत्री कुछ मुद्दों पर सहमत नहीं हो सके जिनमें ‘बलात्कार’ शब्द भी था जो एक वर्ग विशेष को कहीं अधिक इंगित करता है। उनका कहना था कि इसके स्थान पर ‘यौन हमला’ शब्द रखा जाए तो लैंगिकता के मामले में तटस्थ भाव रहता है। इस बात पर भी मतभेद थे कि दर्शनरति और पीछा करने को किस प्रकार परिभाषित किया जाए जिन्हें विधेयक में आपराधिक कृत्य के रूप में शामिल किया गया है। अध्यादेश में पहली बार इन दो गतिविधियों को आपराधिक कृत्य के रूप में परिभाषित किया गया है। कुछ मंत्रियों ने फर्जी सबूतों और झूठी गवाही के खिलाफ पर्याप्त सुरक्षा उपाय नहीं किए जाने पर भी चिंता जताई।
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