उन्हेल (उज्जैन) कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी ही ऐसा दल है जहां पर पॉलिसी और एकाधिकार नहीं चलता है,,! पर यहां तो एकाधिकार का बोलबाला है तभी तो गांव की उपेक्षा कर शहर वालों को ही प्राथमिकता दी जाती है ऐसा हम नहीं भाजपा संगठन का लिखा गया इतिहास इस बात का साक्षी है, तभी तो 90 के दशक से लेकर अभी तक भाजपा में शहर वालों की तूती बोल रही है और गांव वाले उपेक्षा के शिकार हो रहे हैं जबकि घटिया विधानसभा में गांव से ही भाजपा अपना परचम फहराते हुए कांग्रेस को शिकस्त देती आई है जबकि शहर में तो हमेशा मुकाबला कड़क ही रहा है संगठन ने हमेशा मंडल अध्यक्ष का पद शहर को दिया और गांव की उपेक्षा की गई इस बार मिशन 2023 भाजपा के लिए अग्नि परीक्षा होगी क्योंकि जो देखा जा रहा है उसमें इस बार भाजपा के ग्रामीण कार्यकर्ता का रूख आर पार का दिखाई दे रहा है भाजपा मंडल अध्यक्ष पीयूष गुप्ता का कार्यकाल समाप्त हो चुका है नए मंडल अध्यक्ष को लेकर भाजपा में चयन प्रक्रिया शुरू हो चुकी आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा कोई भी विरोध सामने ना आए इस और ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है,,, पर यहां पर जो राजनीतिक घटनाक्रम चल रहा है उसमें फिर से इस पद पर शहर के नेता की ताजपोशी की तैयारी अंदर ही अंदर चल रही है और उसमें विरोधाभास खड़ा होता है तो वर्तमान मंडल अध्यक्ष को फिर से रिपीट किए जाने की रणनीति भी बन चुकी है पर इस बार ग्रामीण क्षेत्र के कार्यकर्ताओं ने यह मूड बना लिया है कि इस बार भाजपा के मंडल अध्यक्ष ग्रामीण क्षेत्र का ही होना चाहिए इसको लेकर सुरसुरी भी भाजपा में चल रही है भाजपा फिर से शहर के नेताओं को यह जवाबदारी दी गई तो ग्रामीण कार्यकर्ताओं की नाराजगी का सामना भाजपा को करना तय है
भाजपा मंडल का इतिहास,,,!
भाजपा मंडल के इतिहास के पन्नों को पलटा जाए तो सच्चाई यह है कि लगभग 90 के दशक के आगे पीछे उन्हेल मंडल अस्तित्व में आया था तब इसकी कमान सबसे पहले स्वर्गी हरीवल्लभ मोदी को दी गई थी उसके बाद पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष सुजान मल जैन मंगेश वर्मा कैलाश वीपट नंदराम धाकड़ और अब पीयूष गुप्ता को यह कमान दी गई जिसमें एक से दो नाम ऐसे रहे हैं जिन्हें दो से तीन बार यह कमान सौंपी गई जो सभी शहरी क्षेत्र से आते हैं इस बीच में एक अपवाद स्वरूप गांव के रूप में मोतीराम पटेल ही भाजपा के अध्यक्ष रहे इसके पीछे का भी मुख्य कारण यह रहा था कि उस दौर में भाजपा के विधायक नारायण परमार और प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के होने के कारण राजनीतिक घटनाक्रम के चलते यह पद गांव के खाते में चला गया था तब शहरी नेताओं की तिकड़म धरी की धरी रह गई थी पर भारतीय जनता युवा मोर्चा में अस्तित्व के आने से लेकर अभी तक शहरी युवा नेताओं का ही दबदबा रहा है इस तरह से हर बार संगठन चुनाव में गांव की उपेक्षा होती रही है
64 पर 12 भारी,,,!
भाजपा का बूथ मैनेजमेंट का कोई भी सानी नहीं रहा है भाजपा बूथ के कारण ही हमेशा चुनावी मिशन सफल करने का तगड़ा फंडा है पर जिस बूथ से भाजपा अपनी न्यू मानती है वह अब खोखले होने लगी है क्योंकि गांव का कार्यकर्ता उपेक्षा के चलते अब चुप बैठने की तैयारी कर रहा है क्योंकि उन्हेल मंडल में कुल 76 बूथ है जिसमें गांव में 64 और शहर में 12 पर अवसर देने की बात आती है तो हर बार 64 पर 12 भारी हो जाते हैं और 64 उपेक्षा का शिकार हो जाते हैं कांग्रेस भी इस बार यही चाहती है कि गांव की उपेक्षा हो तो फिर से घटिया विधानसभा में विजय रथ बरकरार रह जाएगा क्योंकि उन्हेल मंडल के गांव से बड़ी लीड देता रहा है जिसकी भरपाई घटिया के गांव से होती है देखना यह है कि भाजपा इस बार मंडल अध्यक्ष की कमान गांव को देती है या शहर को..संजय कुंडल
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