कानपुर. समाजवादियों के बीच चल रही घर की जंग निपटने के बजाए और बढ़ती जा रही है। मुलायम सिंह और सीएम अखिलेश यादव दोनों का गुट चुनाव आयोग के दफ्तर पहुंच चुका है। पिता-पुत्र पार्टी सिंबल के लिए अपना-अपना दावा ठोंक रहे हैं, वहीं आयोग दोनों के दस्तावेजों को रख अभी विचार कर रहा है। डीएवी कॉलेज के प्रोफेसर विमल कुमार के मुताबिक आयोग दोनों तरफ की दलीलें सुन रहा है। इसके चलते समय भी लग सकता है। साथ ही आपको बता दें कि आयोग सपा का सिंबल साइकिल फ्रीज कर दोनों गुटों को निर्दलीय के रुप में चुनाव चिन्ह दे सकता है। चुनाव आयोग ने यूपी चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवारों और वोटरों के लिए 110 चुनाव चिन्ह आंवटित किए हैं। इनमें हरी मिर्च से लेकर गोभी सिंबर के तौर पर मौजूद है।चुनाव हारने के बाद हरी मिर्च व सलाद का लें स्वाद -भाजपा नगर अध्यक्ष मैथानी ने कहा कि एक साल से पिता-पुत्र कुर्सी के लिए लड़ रहे हैं। इसी के चलते यूपी का विकास पूरी तरह से ठप पड़ा है। जनता ने इन्हें बड़ी उम्मीद से सत्ता सौंपी थी, लेकिन पैसे व पद के लिए यह पूरे पांच साल आपस में लड़ते रहे। आगामी चुनाव में जनता इन्हें हराकर सैफई भेज देगी और ये वहीं पर हरी मिर्च व सलाद का बैठकर मजा लेंगे। मैथानी ने बताया कि हम कानपुर की बंद मिलों और अन्य उद्योगों को चालू व लाने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन खराब कानून व्यवस्था के चलते उद्यमी यहां पर आने से डरते हैं। जब थाने गुंडे चलाएंगे तो कानून का राज कैसे होगा। जनवरी के पहले हफ्ते में ही अपराधियों ने शहर को दहला दिया, जबकि पुलिस के पास इन पर लगाम लगाने के लिए कोई रणनीति नहीं है। जब जड़ ही खराब होगी तो पेड़ कैसे तंदरुस्त हो सकता है।चुनाव हारने के बाद सब एक साथ जाएंगे सैफई -बसपा कोऑर्डिनेटर नौशाल अली ने कहा कि जिस दल की बुनियाद ही लड़ाई-झगड़े और बाहुबलियों के रुप में रखी गई हो, उनसे जनता सुख सुविधा कैसे पा सकती है। 5 साल के कार्यकाल के दौरान सपा सरकार ने गुंडाराज और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है। इनके राज में गुंडे बाहुबलियों का बोलबाला रहा, जबकि बहन जी ने इन्हें जड़ से खत्म कर के दम लिया था। पिता-पुत्र का यह झगड़ा पूरी तरह से नौटंकी है। यह जनता को गुमराह करने और मीडिया में बने रहने के लिए रणनीति के तहत काम कर रहे हैं। पांच साल के दौरान सपा सरकार ने एक भी जनकल्याणकारी काम नहीं किया और इसी डर के चलते वह झगड़े कर ध्यान भटकाने का काम कर रही है। चुनाव हारने के बाद पूरा परिवार सैफई में बैठकर सलाद का स्वाद लेगा और मायावती यूपी की अगली सीएम होंगी।मतदाता की सहूलियत के दिए यह चिन्ह -आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए चुनाव आयोग इन दिनों लगातार यह कोशिश कर रहा है कि अधिक से अधिक मतदाता बन सकें। तो वहीं मतदान प्रतिशत को बढ़ाने के लिए समाजसेवियों, स्कूलों में प्रशिक्षण आदि के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसके साथ ही यह भी ध्यान दिया जा रहा है कि निर्दलीयों को ऐसा चुनाव चिन्ह दिया जाए जिससे मतदाताओं को मतदान करते वक्त चिन्ह को लेकर भ्रम की स्थित न रहे। उप जिलानिर्वाचन अधिकारी समीर वर्मा ने बताया कि निर्दलीयों के लिए 110 चिन्ह आयोग को भेजे गयें हैं। जिनमें हरी मिर्च, डबलरोटी, बोतल, कैमरा, गोभी, बिस्किट, कैरम बोर्ड, फूलगोभी, फैन, मोमबत्तियां, टार्च, बेल्ट, मोतियों का हार, बोतल, चारपाई, कप और प्लेट, कैमरा, फैन, कैरम बोर्ड, फूल गोभी, चक्की, कोट, नारियल, डिश एंटीना, बिजली का खम्भा, द्वार घंटी, डोली, लिफाफा, बांसुरी, फ्राइंग पैन, कीप, गैस सिलेंडर, अंगूर आदि मौजूद हैं।
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