नई दिल्ली। बसपा नेता मायावती ने शनिवार को यह स्वीकार किया कि उनकी पार्टी अपने उम्मीदवारों से पैसे लेती है। उन्होंने कहा कि वे अपने सभी कार्यकर्ताओं और नेताओं से पैसे लेती हैं। जिससे कि उनका संगठन चल सके। नई दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय पर संवाददाताओं को सम्बोधित करते हुए मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी कार्यकर्ताओं, उम्मीदवारों, विधायकों और सांसदों से पैसे लेती है। जिससे उनका संगठन चलता रहे और बहुजन समाज की भलाई के काम होते रहें। मायावती ने यह जवाब अन्य दलों के उस आरोप के बाद दिया, जिसमें वे लगातार यह आरोप लगा रहे थे कि मायावती चुनाव में विधायक बनने के इच्छुक उम्मीदवारों से पैसे लेती हैं। बसपा के पूर्व नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी बसपा छोड़ते हुए मायावती पर टिकट बेचने का आरोप लगाया था। नोटबन्दी पर मायावती के हमलावर रुख पर भी भाजपा का कहना था कि मायावती नोटबन्दी का विरोध इसीलिए कर रही हैं क्योंकि उन्होंने जो कालाधन जमा कर रखा है, वह नोटबन्दी के बाद बेकार हो गया। कालेधन के मुद्दे पर भाजपा के हमलावर रुख से अपना नुकसान होते देख मीडिया के सामने आयीं मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी अपने कार्यकर्ताओं के पैसे के बल पर चलती है। यही कारण है कि उनके पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है। वे जब अपने कार्यकर्ताओं से पैसे लेती हैं तो उसे अपने पार्टी के फंड में जमा करवाती हैं। जबकि दूसरी पार्टियों के नेता पैसे लेकर अपने खाते में जमा कर लेते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें इसलिए भी कार्यकर्ताओं से पैसे लेती हैं क्योंकि वे नहीं चाहतीं कि उनकी पार्टी बड़े धनकुबेरों की काली कमाई के रुपयों से चले। मायावती ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने नोटबन्दी के मामले में बुरी तरह जल्दीबाजी में इस फैसले को लागू किया। यही कारण है कि उसके इस फैसले के बाद देश की नब्बे फीसदी आबादी परेशानी का मुकाबला कर रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा नोटबन्दी को लागू करने के पहले जिस तैयारी की बात कर रही है वह तैयारी उसने केवल अपने पैसे को ठिकाने लगाने में किया।उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने बिहार के पच्चीसों जिलों में मनमानी दरों पर जमीन की खरीदी की है। उनके अनुसार इन जमीनों की खरीद में कालेधन का ही इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने सरकार से गत साल भर से सभी भारी लेन-देन और बड़ी संपत्तियों की खरीद की जांच कराये जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि सिर्फ किसी एक नही पार्टी की नहीं, बल्कि सभी पार्टियों के खातों और लेन-देन की जांच करवाई जानी चाहिए जिससे यह साफ हो जाए कि किसके पास कैसा धन है।
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