उज्जैन |ऐसी परंपरा रही है कि देव प्रबोधनी एकादशी के दिन जब भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा से जगते हैं तो तुलसी के पौधे से उनका विवाह होता है। घरों में क्यारियों में लगी तुलसी उस दिन दुल्हन की तरह सजती है और शास्त्रीय पंरपरा का या लोकरीति का पालन करने वाले लोग इस दिन तुलसी का विवाह उत्सव मनाते हैं। उत्सव पूर्णिमा तक मनाया जाता है। विश्वास किया जाता है कि उत्सव मनाने वालों के सब पाप नष्ट हो जाते।मान्यता है कि तुलसी और विष्णु के शालिग्राम रूप का विवाह करवाने वाले को कन्यादान का पुण्य प्राप्त होता है और अपार पुण्य की प्राप्ति होती है। इसलिए देव प्रबोधनी एकादशी को तुलसी विवाह उत्सव का दिन भी कहा जाता है। और इस विवाह उत्सव के बाद विवाह और दूसरे शुभ काम फिर से शुरु हो जाते हैं।इसदिन भगवान का विवाह होता है इसलिए इस दिन को विवाह का अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है यानी इस दिन बिना पंचांग देखे विवाह कार्य संपन्न किया जा सकता है।तुलसी विवाह से विवाह की शुरुआत के पीछे के रहस्य को जानने से पहले पुराणों में पाप नष्ट होने का अर्थ भी जान लीजिए क्योंकि आमतौर पर पाप नष्ट होने से यह माना जाता है कि आप सारे अपराधों से मुक्त हो गए। लेकिन विष्णु पुराण में पाप मुक्त होने के बारे में कुछ और ही बताया गया है।विष्णु पुराण के अनुसार पाप से मुक्त होने का अर्थ उस के संस्कारों से मुक्त होना है। किए गए पापों का परिणाम तो भुगतना ही है, उन्हें भुगतते हुए अपना इस तरह परिष्कार करना है कि पिछले कर्मों को दोहराने की जरूरत ही न पड़े।तुलसी विवाह से ही शुरु होते है शादी ब्याह और शुभ कार्य
उज्जैन |ऐसी परंपरा रही है कि देव प्रबोधनी एकादशी के दिन जब भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा से जगते हैं तो तुलसी के पौधे से उनका विवाह होता है। घरों में क्यारियों में लगी तुलसी उस दिन दुल्हन की तरह सजती है और शास्त्रीय पंरपरा का या लोकरीति का पालन करने वाले लोग इस दिन तुलसी का विवाह उत्सव मनाते हैं। उत्सव पूर्णिमा तक मनाया जाता है। विश्वास किया जाता है कि उत्सव मनाने वालों के सब पाप नष्ट हो जाते।मान्यता है कि तुलसी और विष्णु के शालिग्राम रूप का विवाह करवाने वाले को कन्यादान का पुण्य प्राप्त होता है और अपार पुण्य की प्राप्ति होती है। इसलिए देव प्रबोधनी एकादशी को तुलसी विवाह उत्सव का दिन भी कहा जाता है। और इस विवाह उत्सव के बाद विवाह और दूसरे शुभ काम फिर से शुरु हो जाते हैं।इसदिन भगवान का विवाह होता है इसलिए इस दिन को विवाह का अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है यानी इस दिन बिना पंचांग देखे विवाह कार्य संपन्न किया जा सकता है।तुलसी विवाह से विवाह की शुरुआत के पीछे के रहस्य को जानने से पहले पुराणों में पाप नष्ट होने का अर्थ भी जान लीजिए क्योंकि आमतौर पर पाप नष्ट होने से यह माना जाता है कि आप सारे अपराधों से मुक्त हो गए। लेकिन विष्णु पुराण में पाप मुक्त होने के बारे में कुछ और ही बताया गया है।विष्णु पुराण के अनुसार पाप से मुक्त होने का अर्थ उस के संस्कारों से मुक्त होना है। किए गए पापों का परिणाम तो भुगतना ही है, उन्हें भुगतते हुए अपना इस तरह परिष्कार करना है कि पिछले कर्मों को दोहराने की जरूरत ही न पड़े।
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जरा हटके
Location:
Ujjain, Madhya Pradesh, India
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