भोपाल। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के चार दिनी 'सागर मंथन' के बाद संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने रविवार को अपनी पहली सार्वजनिक सभा में हिंदू राष्ट्र की पैरवी कर दी। इसके समर्थन में उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक एमएन राय, रविंद्रनाथ टैगोर से लेकर डॉ. भीमराम आंबेडकर के तर्को का हवाला भी दिया। अपने तर्को के साथ वह बोले हिंदुत्व ही सामाजिक सद्भाव एवं विकास का एकमात्र रास्ता है। उन्होंने तरक्की व ताकत के मामले में इजराइल का उदाहरण देते हुए भारत को सीख लेने की नसीहत दी। यह भी कहा कि केवल चुनावी टिकट की खातिर संघ में न आएं।सागर के खेल परिसर में जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने सीधे शब्दों में कहा कि हिंदू ही एक मात्र रास्ता है जो विविधता में सभी को समभाव से स्वीकार करता है। इसके पक्ष में उन्होंने गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर के लेख 'स्वदेशी समाज' के अंश का हवाला देते हुए बताया कि हिंदू-मुस्लिमों के बीच सद्भाव व एकता का रास्ता हिंदुत्व से ही निकलेगा। अपने 50 मिनट के भाषण में परोक्ष रूप से उन्होंने हिंदू राष्ट्र की पैरवी एवं संघ को समझने की नसीहत दी। वह बोले समृद्धि, सुरक्षा एवं विकास के लिए हमें पहले सबल बनना होगा। बिना किसी का नाम लिए उन्होंने यह भी जताया कि पूर्ववर्ती सरकारों ने देश के विकास में अपेक्षित इच्छाशक्ति से काम नहीं किया। यही वजह है कि हम स्वतंत्र तो हुए पर दुखों का भार हल्का नहीं हुआ। योजनाएं बनी, पैसा खर्च हुआ, काम हुआ पर हमें अपेक्षित परिणाम नहीं मिला। हमारी सीमा के शत्रु भी बाज नहीं आ रहे, हमारा देश शक्ति संपन्न होगा तभी हम सुरक्षित होंगे। अच्छा देश बनाने के लिए श्रेष्ठ नागरिकों का निर्माण जरूरी है। आरएसएस पिछले 90 वषर्षो से इसी काम में जुटा है। उन्होंने संघ का परिचय देते हुए कहा कि लोग आरएसएस के बारे में गलतफहमियां फैलाते हैं। संघ को समझना है तो स्वयं सेवक बनकर आएं।संघ प्रमुख के साथ मंच पर क्षेत्रीय प्रचारक अशोक सोनी, प्रांत प्रचारक प्रशांत सिंह एवं जिला प्रचारक गौरीशंकर चौबे भी मौजूद थे। हजारों स्वयं सेवकों ने सूर्यनमस्कार, शारीरिक क्षमता का प्रदर्शन भी किया। जिले के अनेक वरिष्ठ नेता भी इस अवसर पर संघ के गणवेश में बैठे नजर आए।इजराइल से लें सबक-भागवत ने पड़ोसी देशों की कारगुजारियों पर चिंता जताते हुए कहा कि हिंदुस्तान को इजराइल जैसा बनना होगा। हमारे साथ ही आजाद हुए मुट्ठी भर आबादी और बित्ते भर का देश इजराइल ने आठ प़़डोसी देशों के पांच हमले झेले लेकिन फतह हासिल कर आज विकसित एवं शक्ति सपन्न बन गया। पूरी दुनिया को अन्न और फल की आपूर्ति कर रहा है। हमारे वैज्ञानिक भी इस रेतीली जमीन और जलसंकट वाले देश की तकनीकी सीखने जाते हैं। वहां के नागरिकों [यहूदियों] की ओर नजर उठाने वालों की आंख भी सलामत नहीं रहती।इन पर खामोश रहे संघ प्रमुख-संघ प्रमुख भागवत ने अपने संबोधन में हिंदू आबादी, धर्मातरण, घर वापसी, कश्मीर, धारा 370, समान नागरिक संहिता, अयोध्या में राम मंदिर जैसे संवेदनशील मुद्दों को नहीं छुआ। इतना ही नहीं उन्होंने कांग्रेस और दूसरी राजनैतिक पार्टियों पर भी खामोश रहे।अखाड़ा नहीं है संघ-उन्होंने बडे़ ही रोचक अंदाज में अंधों के हाथी की कहानी सुनाकर संघ का परिचय दिया। बोले-गणवेश और लाठी देख संघ को अखाड़ा न समझे, यह कोई पैरामिलेट्री फोर्स भी नहीं, संगीत शाला अथवा सेवा संस्था भी नहीं। देशवासियों में संस्कार जगाने के अभियान में हम जुटे हैं, मेरे कहने पर भरोसा करने के बजाए संघ में आकर खुद देखें। संघ क्या है अनुभव से समझिए। संघ के स्वयं सेवक बिना किसी सरकारी मदद के अपनी चमड़ी घिसकर और दमड़ी खर्च कर देशभर में अनगिनत सेवा के कार्य चला रहे हैं। देश का कल्याण योग्य लोगों से ही होगा, इसलिए संघ में आकर स्वयं को योग्य बनाएं, तभी देश दुनिया, अपना परिवार एवं पीढि़यां सुखी होंगी।, हरेकृष्ण दुबोलियाभागवत ने की हिंदू राष्ट्र की पैरवी
भोपाल। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के चार दिनी 'सागर मंथन' के बाद संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने रविवार को अपनी पहली सार्वजनिक सभा में हिंदू राष्ट्र की पैरवी कर दी। इसके समर्थन में उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक एमएन राय, रविंद्रनाथ टैगोर से लेकर डॉ. भीमराम आंबेडकर के तर्को का हवाला भी दिया। अपने तर्को के साथ वह बोले हिंदुत्व ही सामाजिक सद्भाव एवं विकास का एकमात्र रास्ता है। उन्होंने तरक्की व ताकत के मामले में इजराइल का उदाहरण देते हुए भारत को सीख लेने की नसीहत दी। यह भी कहा कि केवल चुनावी टिकट की खातिर संघ में न आएं।सागर के खेल परिसर में जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने सीधे शब्दों में कहा कि हिंदू ही एक मात्र रास्ता है जो विविधता में सभी को समभाव से स्वीकार करता है। इसके पक्ष में उन्होंने गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर के लेख 'स्वदेशी समाज' के अंश का हवाला देते हुए बताया कि हिंदू-मुस्लिमों के बीच सद्भाव व एकता का रास्ता हिंदुत्व से ही निकलेगा। अपने 50 मिनट के भाषण में परोक्ष रूप से उन्होंने हिंदू राष्ट्र की पैरवी एवं संघ को समझने की नसीहत दी। वह बोले समृद्धि, सुरक्षा एवं विकास के लिए हमें पहले सबल बनना होगा। बिना किसी का नाम लिए उन्होंने यह भी जताया कि पूर्ववर्ती सरकारों ने देश के विकास में अपेक्षित इच्छाशक्ति से काम नहीं किया। यही वजह है कि हम स्वतंत्र तो हुए पर दुखों का भार हल्का नहीं हुआ। योजनाएं बनी, पैसा खर्च हुआ, काम हुआ पर हमें अपेक्षित परिणाम नहीं मिला। हमारी सीमा के शत्रु भी बाज नहीं आ रहे, हमारा देश शक्ति संपन्न होगा तभी हम सुरक्षित होंगे। अच्छा देश बनाने के लिए श्रेष्ठ नागरिकों का निर्माण जरूरी है। आरएसएस पिछले 90 वषर्षो से इसी काम में जुटा है। उन्होंने संघ का परिचय देते हुए कहा कि लोग आरएसएस के बारे में गलतफहमियां फैलाते हैं। संघ को समझना है तो स्वयं सेवक बनकर आएं।संघ प्रमुख के साथ मंच पर क्षेत्रीय प्रचारक अशोक सोनी, प्रांत प्रचारक प्रशांत सिंह एवं जिला प्रचारक गौरीशंकर चौबे भी मौजूद थे। हजारों स्वयं सेवकों ने सूर्यनमस्कार, शारीरिक क्षमता का प्रदर्शन भी किया। जिले के अनेक वरिष्ठ नेता भी इस अवसर पर संघ के गणवेश में बैठे नजर आए।इजराइल से लें सबक-भागवत ने पड़ोसी देशों की कारगुजारियों पर चिंता जताते हुए कहा कि हिंदुस्तान को इजराइल जैसा बनना होगा। हमारे साथ ही आजाद हुए मुट्ठी भर आबादी और बित्ते भर का देश इजराइल ने आठ प़़डोसी देशों के पांच हमले झेले लेकिन फतह हासिल कर आज विकसित एवं शक्ति सपन्न बन गया। पूरी दुनिया को अन्न और फल की आपूर्ति कर रहा है। हमारे वैज्ञानिक भी इस रेतीली जमीन और जलसंकट वाले देश की तकनीकी सीखने जाते हैं। वहां के नागरिकों [यहूदियों] की ओर नजर उठाने वालों की आंख भी सलामत नहीं रहती।इन पर खामोश रहे संघ प्रमुख-संघ प्रमुख भागवत ने अपने संबोधन में हिंदू आबादी, धर्मातरण, घर वापसी, कश्मीर, धारा 370, समान नागरिक संहिता, अयोध्या में राम मंदिर जैसे संवेदनशील मुद्दों को नहीं छुआ। इतना ही नहीं उन्होंने कांग्रेस और दूसरी राजनैतिक पार्टियों पर भी खामोश रहे।अखाड़ा नहीं है संघ-उन्होंने बडे़ ही रोचक अंदाज में अंधों के हाथी की कहानी सुनाकर संघ का परिचय दिया। बोले-गणवेश और लाठी देख संघ को अखाड़ा न समझे, यह कोई पैरामिलेट्री फोर्स भी नहीं, संगीत शाला अथवा सेवा संस्था भी नहीं। देशवासियों में संस्कार जगाने के अभियान में हम जुटे हैं, मेरे कहने पर भरोसा करने के बजाए संघ में आकर खुद देखें। संघ क्या है अनुभव से समझिए। संघ के स्वयं सेवक बिना किसी सरकारी मदद के अपनी चमड़ी घिसकर और दमड़ी खर्च कर देशभर में अनगिनत सेवा के कार्य चला रहे हैं। देश का कल्याण योग्य लोगों से ही होगा, इसलिए संघ में आकर स्वयं को योग्य बनाएं, तभी देश दुनिया, अपना परिवार एवं पीढि़यां सुखी होंगी।, हरेकृष्ण दुबोलिया
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