नई दिल्ली। गुजरात के निलंबित डीआईजी डीजी वंजारा ने पूर्व गृह राज्यमंत्री अमित शाह पर संगीन आरोप लगाते हुए पुलिस सेवा को अलविदा कह दिया है। डीजी वंजारा सोहराबुद्दीन, इशरत जहां और तुलसीराम प्रजापति फर्जी मुठभेड़ मामले में पिछले 6 साल से जेल में बंद हैं। 10 पन्नों के इस्तीफे में वंजारा ने मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने लिखा है कि सरकार केवल सीबीआई से अपनी खाल बचाने के लिए एनकाउंटर का इस्तेमाल कर रही है। सरकार का पूरा जोर किसी न किसी तरह अमित शाह को बचाने पर लगा है लेकिन अफसरों को उनके हाल पर छोड़ दिया है।वंजारा ने लिखा है कि गुजरते वक्त के साथ मुझे ये अहसास हो गया है कि इस सरकार को हमें बचाने में कोई दिलचस्पी नहीं है, बल्कि ये सीबीआई से खुद की खाल बचाने के लिए मुझे और मेरे कई पुलिस अफसरों को जेल में कैद रखने की कोशिश कर रही है। इसके जरिए सरकार खुद को तो बचाना चाहती है, साथ ही राजनीतिक फायदे उठाने की कोशिश में भी है।वंजारा ने लिखा है कि ये बात अब दुनिया जान गई है कि गुजरात में एनकाउंटर केस को जिंदा रख पिछले 12 सालों से राज्य सरकार ने खूब राजनीतिक मुनाफा कमाया है। वहीं दूसरी ओर जब जेल में कैद पुलिस अफसरों का मुद्दा आता है तो ये सरकार ठंडी पड़ जाती है और जबरदस्त बेरुखी दिखाती है।वंजारा के मुताबिक सरकार की रुचि सिर्फ और सिर्फ अमित शाह को बचाने में है। अधिकारियों को न बचाए, ये बात समझ में आती है लेकिन जिन अधिकारियों को जमानत मिली थी, उस जमानत को भी सरकार ने रद्द करवा दिया। वंजारा ने लिखा कि मैं इतने साल तक चुप रहा क्योंकि मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मैं भगवान की तरह मानता था लेकिन अब मेरा भरोसा उठ चुका है, सब्र का बांध टूट चुका है। हमने वही किया जो सरकार की पॉलिसी थी लेकिन सरकार ने हमारा साथ छोड़ दिया।वंजारा ने लिखा है कि अमित शाह को बचाने के लिए राम जेठमलानी जैसे बड़े वकील की नियुक्ति की गई लेकिन हमारे लिए ऐसा कुछ नहीं किया गया। वंजारा ने एक जगह लिखा है कि पुलिस और सरकार एक ही नाव पर सवार होते हैं। इनमें से किसी को भी ये कोशिश नहीं करनी चाहिए कि दूसरे को डुबाकर वो किनारे तक सकुशल पहुंच जाए। इसमें या तो दोनों डूबेंगे या दोनों बचेंगे। वंजारा ने लिखा है कि मैं नरेंद्र मोदी को भगवान मानता था लेकिन मुझे अफसोस है कि मेरा भगवान अमित शाह के शैतानी प्रभाव में आकर मुझे बचा नहीं पाया। वंजारा ने लिखा है कि वो अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं और उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाले फायदे भी नहीं चाहिए।गुजरात के पूर्व आईपीएस डीजी वंजारा ने इस्तीफा दे दिया है। सोहराबुद्दीन, तुलसी प्रजापति और इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामले में वंजारा फिलहाल जेल में बंद हैं। वंजारा ने पुलिस सेवा से इस्तीफा दे दिया है। 10 पन्ने के इस्तीफे में वंजारा ने मोदी सरकार पर सीधा आरोप लगाया है कि सरकार ने एनकाउंटर का केवल राजनीतिक इस्तेमाल किया। वंजारा के मुताबिक सरकार केवल सीबीआई से अपनी खाल बचा रही है।वंजारा ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि गुजरते वक्त के साथ मुझे ये अहसास हो गया है कि इस सरकार को हमें बचाने में कोई दिलचस्पी नहीं है, बल्कि ये सीबीआई से खुद की खाल बचाने के लिए मुझे और मेरे कई पुलिस अफसरों को जेल में कैद रखने की कोशिश कर रही है।इसके जरिए सरकार खुद को तो बचाना चाहती है, साथ ही राजनीतिक फायदे उठाने की कोशिश में भी है। ये बात अब दुनिया जान गई है कि गुजरात में इनकाउंटर केस को जिंदा रख पिछले 12 सालों से राज्य सरकार ने खूब राजनीतिक मुनाफा कमाया है।वहीं दूसरी ओर जब जेल में कैद पुलिस अफसरों का मुद्दा आता है तो ये सरकार ठंडी पड़ जाती है और जबरदस्त बेरुखी दिखाती है। ये सरकार तभी हरकत में आई जब गृह राज्य मंत्री अमित शाह को सीबीआई ने गिरफ्तार किया। बेहद वरिष्ठ और सबसे ज्यादा महंगे वकील राम जेठमलानी को अमित शाह को बचाने के लिए नियुक्त किया जाता है।राम जेठमलानी अमित शाह को बचाने के लिए सीबीआई कोर्ट, विशेष अदालत, हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में पेश होते हैं और अमित शाह को जेल होने के तीन महीने के भीतर ही उन्हें बार-बार बेल दिलवा देते हैं।दूसरी ओर जब मुझे, राजकुमार पांडियन और दिनेश एमएन को सीआईडी क्राइम ने गिरफ्तार किया तो हमें कानूनी मदद दिलवाना तो दूर की बात, सरकार की ओर से किसी ने भी हमारे लिए हमदर्दी का एक शब्द नहीं कहा, हमारे परिवार को भी भुला दिया गया।वहीं जैसे ही उन्हें सीबीआई के हाथों गुजरात के राजनीतिक नेताओं की गिरफ्तारी का अंदेशा हुआ। उन्होंने सारे कानूनी और सियासी घोड़े दौड़ा दिए कि हमें बेल न मिल सके। ताकि किसी भी सूरत में ये जांच गुजरात सीआईडी से सीबीआई के हाथ न जाने पाए।गुजरात के मुख्यमंत्री ने भारत मां का कर्ज अदा करने का बयान बड़ा मौज से दिया है। निश्चित तौर पर ये हर भारतीय का पावन कर्तव्य है। लेकिन हम उन्हें याद दिलाना चाहेंगे कि वो दिल्ली की अपनी दौड़ में हमें न भूल जाएं, उन्हें जेल में कैद तमाम अफसरों का कर्ज भी अदा करना है। हमारे मुख्यमंत्री तो बेहद वीर हैं और उनके जैसा प्रभामंडल किसी दूसरे मुख्यमंत्री का नहीं है।मैं बेहद संयमित अंदाज में एक लंबे वक्त तक चुप रहा क्योंकि मुझे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्रभाई मोदी पर अगाध विश्वास था। मैं उन्हें ईश्वर मानता था लेकिन मुझे इस बात का बेहद अफसोस है कि मेरा ईश्वर अमित भाई शाह के शैतानी प्रभाव के चलते हमें बचा नहीं पाया।
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