चीन में ढूंढ़े नहीं मिल रहे हैं स्पर्म डोनर्स

बीजिंग। बॉलीवुड फिल्म विकी डोनर की कहानी रूपहले पर्दे से निकलकर चीन में असल जिंदगी में उतर आई है जहां लोगों को शुक्राणु दान देने के वास्ते मनाने के लिए अस्पतालों को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। चीनी मीडिया में जारी हुई रिर्पोटों के अनुसार देश में जहां एक बच्चा नीति लागू है वहां नवयुवकों को यह बात सकते में डाल रही है कि किसी दिन वे अपने शुक्राणु से जन्मे बच्चे से सड़क पर टकरा सकते हैं और इसी वजह से वे स्पर्म दान देने से कतरा रहे हैं।विकी डोनर फिल्म में जिस तरह से अन्नू कपूर शुक्राणु दान करने के लिए आयुष्मान खुराना को मनाने की कोशिशें करते नजर आते हैं। कुछ वैसा ही हाल चीन के डॉक्टरों का भी है जो स्पर्म डोनर्स को इस काम के लिए राजी करने का पूरा प्रयास कर रहे हैं।चीन के कानून के मुताबिक एक परिवार में केवल एक बच्चा हो सकता है लेकिन एक व्यक्ति के शुक्राणु का लाभ उसकी पत्नी के अतिरिक्त पांच और महिलाएं उठा सकती हैं। हालांकि झोऊ झेग जैसे स्पर्म डोनर्स को अब पहला शुक्राणु दान करने के दस साल बाद यह खतरा सता रहा है कि अगर किसी दिन उनकी मुलाकात उनके शुक्राणु से पैदा हुए बच्चे से हो गई तो क्या होगा।झोऊ कहते हैं कि यह सोचकर ही मेरी नींद उड़ जाती है कि मेरी अपनी संतान के अलावा भी मेरे पांच और बच्चे भी इस दुनिया में मौजूद हैं। विकी डोनर की तरह झोऊ ने भी दस साल पहले कॉलेज के दिनों में स्पर्म दान करना शुरू किया था और उस वक्त उनकी शादी नहीं हुई थी।

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